किसी से मिलते हीं
उसे ना नापो तौलो,
जज ना करो।
सभी किसी ना किसी रूप में पूर्ण हैं
और अपूर्ण भी।
इंसान रूप में ईश्वर ने अवतार लिया,
यही समझाने के लिए,
कि कोई परफ़ेक्ट नहीं।

किसी से मिलते हीं
उसे ना नापो तौलो,
जज ना करो।
सभी किसी ना किसी रूप में पूर्ण हैं
और अपूर्ण भी।
इंसान रूप में ईश्वर ने अवतार लिया,
यही समझाने के लिए,
कि कोई परफ़ेक्ट नहीं।



खोने का डर क्यों? साथ क्या लाए थे।
क्या कभी बिना डरे जीने कोशिश की?
तब तो फ़र्क़ समझ आएगा।
इस जहाँ में आए, सब यहाँ पाए।
सब यही छोड़ जायें।
यही कहती है ज़िंदगी।
ग़र जीवन का अर्थ खोजना है।
एक बार ज़िंदगी की बातें मान
कर देखने में हर्ज हीं क्या है?
Topic by yourQuote

दहलीज़ यूँ हीं नहीं बनते।
ये मकाँ को घर है बनाते।
घर की हिफ़ाज़त है करते।
इस कदर होतें है पैबस्त ये
चौखट दिल-औ-दिमाग़ में
कि दाख़िल होते एक से दूसरे दरवाज़े में,
नई सोंच आती है दिमाग़ में।
दिल की दहलीज़ हो या घर की।
ये कुछ बातें याद दिलाती है,
कुछ बातें भुलातीं है।
About doorway effect Psychologists says – walking through a door and entering another room creates a “mental blockage” in the brain. walking through open doors resets memory to make room for a new episode to emerge. That’s is why you sometimes walk into a “room and forget why you entered

गुमनाम अधूरी ग़ज़लों को
मुकम्मल क़ाफ़िया मिल जाए।
तो उनकी सफ़र पूरी हो जाए।

इश्क़-ए-इल्म में है सुरूर।
पढ़ दिल हो गया मगरूर।
पर ना मिला इश्क़ का इब्तिदा ना इंतिहा।
जब हुआ इश्क़,
इश्क़ की किताब में पढ़ा
कुछ काम ना आया…
ना जाने क्या खोया क्या पाया।

TopicByYourQuote

Topic by Your Quote.
फ़ुर्सत मिल जाए तो
दो बातें हम से भी कर लेना।
एक बात तुमसे कहनी थी-
ना ख़ूबसूरती रहती है,
ना जुनून
जब दो एक हो जाते हैं।
बस रह जाता है इश्क़।

ये ज़िंदगी की धुआँ धुआँ हैं आहें।
दुरूह धोखे औ गर्द भरी राहें।
मसला तो यह है कि अपने हीं
मसलते हैं अपनों के दिलों को।
इतिहास भी देता है गवाहियाँ।
लाख कोशिशों के बाद कृष्ण भी हारे।
चाहे रिश्ते लाख निबाहें,
बदली हो जब अपनों की निगाहें।
एक जंग अपनों से…
रोक नहीं सके सारे।
TopicByYourQuote
ना समझो इसे मौन,
खोज़ रहें है, हम हैं कौन?
कर रहे हैं अपने आप से गुफ़्तगू।
हमें है खोज़ अपनी, अपनी है जुस्तजू ।
इश्क़ अपने आप से, अपने हैं हमसफ़र।
छोटी सी ज़िंदगी, छोटी सी रहगुज़र।
रेत हो या वक्त ,
फिसल जाएगा मुट्ठी से कब।
लगेगा नहीं कुछ खबर। 
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