छोड़ आयी हूँ

छोड़ आयी हूँ उस दरवाज़े तक।

लौट कर आओगे नहीं उस फ़लक

वापस कभी इस जहान तक।

फिर भी हर आहट पर होता है शक।

नज़रें उठ जाती है इस ललक,

शायद लौट आओ, दिल कहता है बहक।

सूनी राहें देख कदम रह जाते हैं ठिठक।

रूह में रह जाती है कसक।

सितारे – आकाशगंगा Milky Way

उजले ख़्वाब देख, इश्क़ किया सितारों ने।

चाँद की चाँदनी में दिखे नज़ारों में।

सजी सितारों की बारात आकाश गंगा की बहारों में।

देखा सितारों को एक होते, सितारों में।

उम्र भर की तलाश पूरी हुई शायद।

डूब गए एक दूसरे की आँखों में ज़ायद।

ख़ूबसूरत है कायनात की क़वायद।

न्यूज़- दो आकाश गंगा का विलय।

Two Far-Off Galaxies Are Merging In

Amazing New Pic From Hubble

Telescope Merging galaxies captured

by Hubble.

https://www.theatlantic.com/science/archive/2022/08/galaxy-mergers-colliding-cosmic-matter-milky-way-andromeda/671164/

मोक्षदा एकादशी / गीता जयंती ३.१२.२२ Gita Mahotsav 3.12.2022

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।

(जीवन में आने वाली विपरीत परिस्थितियों में हौसला दिलानेवाला श्रीमद्भगवद्गीता श्लोक)

भगवान श्रीकृष्ण ने संसार को गीता के ज्ञान रूप में अपनी विशेष कृपा प्रदान की है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती मनाई जाती है.

Gita Mahotsav is an event centred around the  Bhagavad Gita, celebrated on the Shukla  Ekadashi, the 11th day of Margashirsha the  waxing moon of the  (Agrahayan) month of the Hindu calendar. It is believed the Bhagavad Gita was revealed to Arjunaby Krishna in the battlefield of Kurukshetra.

क्यों हर रास्ता

क्यों हर रास्ते चलते जातें हैं,

ज़िन्दगी की बहाव की तरह?

क्यों रास्तों के पेच-ओ-ख़म,

राहों की सख़्तियाँ ख़त्म होतीं नहीं है,

ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव की तरह?

मालूम नहीं हर रहगुज़र मंज़िल का पता दे कि ना दे,

पर राहों पर चलते जाना हीं सफ़र-ए-ज़िंदगी है।

हम सब हैं मुसाफ़िर, मंज़िल की तलाश में।

परफ़ेक्ट

किसी से मिलते हीं

उसे ना नापो तौलो,

जज ना करो।

सभी किसी ना किसी रूप में पूर्ण हैं

और अपूर्ण भी।

इंसान रूप में ईश्वर ने अवतार लिया,

यही समझाने के लिए,

कि कोई परफ़ेक्ट नहीं।

उल्फ़त

चाँद हो आग़ोश में,

तो सितारों से उल्फ़त नहीं करते।

रौशन हो जहाँ आफ़ताब से,

तो जुगनुओं की रौशनी पर नहीं मरते।

अपनी ज़िंदगी कब जियोगे?

लोग क्या कहेंगे?

अगर सुन रहे हो लोगों की।

तब जी रहे हो उनकी ज़िंदगी,

उनकी बातें,

उनकी ख्वाहिशें।

अपनी ज़िंदगी कब जियोगे?

ख़ुशियों का समुंदर

अक्सर लगता है,

ग़ज़ब तनाव है ज़िंदगी में।

अजब ताव है फ़िज़ा में।

साया-ए-ग़म में साँसें है घुटी-घुटी।

हँसी की रौशनी जैसे लुटी-लुटी।

उदासी के अँधेरे में भाव बढ़ा जैसे चराग़ का।

सच यह है कि इसी उलझन का नाम है ज़िंदगी।

इसे मुस्कुरा कर जीना है बंदगी।

सामना करो, नाम दो पहचान दो एहसासों को।

भावनायें और दिलो-दिमाग़ ग़र सीख गए संभलना।

चाँद उतर आएगा फिर ख़ुशियों के समुंदर में।

International Stress Awareness Day-

Don’t become the slave of your emotions.

recognise your emotion and your triggers

and handle Them with care. Otherwise they’ll

Make you fragile.

विचलित नहीं होना मन मेरे

विचलित नहीं होना मन मेरे, देख कफ़न का सफ़ेद नूर।

यह तो है राह-ए-सुकून, दुनिया के दुःख-दर्द से दूर।

होते हैं कई बदकिस्मत बे-कफ़न

होते है कुछ जीते-जी मद में चूर।

भूल जाते है ज़िंदगी है रूहानियत,

समझदारी है, नही रखने में ग़ुरूर।

कफ़न में जेब नहीं होती, यह है मशहूर।

कर्मों की वसीयत होती है रूह पर ज़रूर।

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