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हौसला
हमारी ख़ासियत
गुमशुदा ज़िंदगी की कहानी
ख्वाहिश है अगली बार,
उम्र तुम्हारी लंबी हो यार।
तुम समझो, क्या होती है यादें
तुम जानो, क्या होता है तोड़ना वादें।
बस इतनी सी है मेरी बिखरी जहानी।
मेरी गुमशुदा ज़िंदगी की कहानी।
अर्थ- जहानीः worldly, relating to the world
I have been with you!
If you find me not within you,
you will never find me.
For I have been with you,
from the beginning of me.
~~Rumi
चाय, किताबें, इश्क़ और तुम
हाथों में गर्म चाय की प्याली औ हम किताबों में गुम।
हो इश्क़ का तरन्नुम औ यादों में तुम।
तब लबों पर थिरक उठती है तबस्सुम,
और आँखों में अंजुम।
चाय, किताबें, इश्क़ और तुम
इन्ही से मिल बनें हैं हम।
अर्थ
अंजुम – सितारे; तारे।
तरन्नुम – स्वर-माधुर्य, गाना, मधुर गान, लय, अलाप।
सुकून और ख़ुशियाँ
ऐसा होता तो वैसा होता।
वैसा होता तो अच्छा होता।
अगर मन की बातें होतीं
कैसे मालूम कैसा होता?
कौन जाने क्या होता?
शायद यही सबसे अच्छा है?
अपने मन की बातें जाने दो।
बातें जैसी है वैसे स्वीकार कर लो,
ग़र ख़ुशियाँ और सुकून चाहिए।
Do not worry that your life is turning
upside down. How do you know the
side you are used to is better than
the one to come?
~ Rumi
मंज़िल
पाना है अगर मंज़िल,
राज़ रखो अपनी मंज़िल।
बढ़ाते रहो पूरे विश्वास से कदम।
ग़र ना हो राज़-ए-मक़सद रखने का दम
दिल साज़िश करने लगता है हरदम।
कम कर हौसला,
देते है एहसास ऐसा भर
जैसे पा लिया हो मंज़िल।
बिना पाये मंज़िल।
Interesting Psychological Fact – Don’t tell
everyone your goals, because it chemically
satisfies the brain and that’s similar to
completing it.
Meaning मक़सद / मंज़िल – goal.
उन लम्हों में
कमियाँ किसमें नहीं?
पर सबसे बड़ी कमी है वही,
ज़ेहन के अँधेरे को मानना सही।
कभी ख़ुद का आईना बन तो सही।
नेकनीयती से गौर कर कभी
अपनी सकारात्मक और नकारात्मक,
अच्छी और बुरी बातों की बही।
नज़रों के सामने से हटेगा कम-निगही।
अपनी होड़, अपनी स्पर्द्धा अपने आपसे कर,
ईमानदारी और प्यार से खुद का ऑडिट कर।
अच्छा-बुरा जो भी पाया उन लम्हों में
उसका हर दिन रियाज़ कर।
अर्थ- कम-निगही- short sighted
Positive Psychology- Self-acceptance is the
first step to self-mastery. Mastery of the
self comes from accepting all our flaws.
Talk To Yourself with empathy.
पसंद
पसंद
हम चाहें ना चाहें,
सब हमें चाहें।
हम कबूलें या ना क़बूलें लोगों को,
पर हमें सब क़बूल करें।
यह ज़िद्द क्यों, सब पसंद करें तुम्हें?
क्या कायनात मे सभी पसंद हैं तुम्हें?
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