आँखें ख़्वाब, औ सपने बुनतीं हैं….

आँखें ख़्वाब, औ सपने बुनतीं हैं,

हम सब बुनते रहते हैं,

ख़ुशियों भरी ज़िंदगी के अरमान।

हमारी तरह हीं बुनकर पंछी तिनके बुन आशियाना बना,

अपना शहर बसा लेता है.

बहती बयार और समय इन्हें बिखेर देते हैं,

यह  बताने के लिये कि… 

 नश्वर है जीवन यह।

मुसाफिर की तरह चलो। 

यहाँ सिर्फ रह जाते हैं शब्द अौर विचार। 

वे कभी मृत नहीं होते।

जैसे एक बुनकर – कबीर के बुने जीवन के अनश्वर गूढ़ संदेश। 

 

 

बुनकर पंछी- Weaver Bird.