
आपका दिया, आपको समर्पित!

William Wordsworth was spot on when he said “Poetry is the spontaneous overflow of powerful feelings: it takes its origin from emotion recollected in tranquility.” When my pen meets the paper, it always captures the many moods and their wild swings and emotions and their detours which overflows from my heart spontaneously into the paper transmogrifying into verses!!
Gitanjali Rao is 15 year old, an Indian-American inventor, author, scientist, and science, technology, engineering, and mathematics promoter.
यह पोस्ट भारतीय योग संस्थान द्वारा आयोजित शिविर के लिए लिखा गया है।
द इंटरनेशनल डे ऑफ पिंक – यह बुलिंग के विरोध में अप्रैल के दूसरे सप्ताह में गुलाबी कपड़े पहन कर होने वाला एक इंटरनेशनल इवेंट है । यह संदेश देता है कि दूसरों को बूली करने वाले लोगों को कभी बढ़ावा नहीं देना चाहिए।
बुलिंग क्या है – कुछ कम या लो सेल्फ स्टीम वाले लोग अक्सर, बार-बार दूसरों के साथ क्रूर, अपमानजनक और आक्रामक व्यवहार करते हैं। कुछ देशों में के इसके खिलाफ कानून भी है।
The International Day of Pink -This is an international anti-bullying event held in second week of April. People with low self-esteem sometime treat (someone) in a cruel, insulting, threatening, or aggressive fashion. This harmful behavior is often repeated and habitual. This abusive behaviour have laws against it in some places.
Bullying is never fun; it’s a cruel and terrible thing to do to someone. If you are being bullied, it is not your fault. No one deserves to be bullied, ever. ~~Raini Rodriguez
(Anti-Bullying Day, Anti-Bullying Week, International Day of Pink, International STAND UP to Bullying Day and National Bullying Prevention Month. )
Dignity Foundation hosted digital event of 2021, opting for the theme to be “spirituality. This video is included in Dignity Divinity, Part 1। Its also available on youtube.
मैंने नजरें उठाई, खुले विस्तृत नीले आकाश की ओर देखा और ऊपर वाले से पूछा। ईश, रात में सोने से पहले और सुबह उठने के बाद तुमसे बातें करती हूं। हर तरफ तुम्हारी ही आभा बिखरी दिखती है. अपनी हर परेशानी और कामना तुम्हें बताती हूं। अब तुम्हारे देवत्व और दिव्यता के बारे में क्या कहूं? तुम्हें परिभाषा में बांधना असंभव है।तुम मेरे लिये क्या हो? तुम्हीं बताअो।
ऊपर वाले ने जवाब दिया – “जो मैं हूं वह तुम हो. तुम मेरा ही अंश हो। तुम्हारी यात्रा मुझ तक पहुंचने की है. चाहे जो भी राह या धर्म अपना लो. योग, प्राणायाम, ध्यान जिस विधि मुझे पा लो. मेरी हर रचना में मुझे ही देखो, यही मेरी सबसे बड़ी उपासना है।
हमने कहा – अगर तुम और हम एक ही हैं. तब तुमने मुझे इतना गहरा आघात, इतनी चोटें क्यों दीं? जानते हो ना, जिंदगी के मझधार में हमसफर का खोना कितना दुखदाई है। ऊपरवाला थोड़ा हिचकिचाया। फिर वह धीरे से मुस्कुराया और बोला – यह जीवन यात्रा है। इसमें जन्म-मृत्यु, दुख-सुख तो लगा ही रहेगा। राम और कृष्ण बन कर मैं भी तो इनसे गुजरा हूं। सच कहो तो, मैं तुम्हें तराश रहा था। ठीक वैसे जैसे तराश कर हीं पाषाण या संगमरमर से कलात्मक कलाकृति बनती है। जीवन का हर चोट बहुत कुछ सिखाता है. आत्मा और परमात्मा के करीब लाता है। अपने अंतर्मन के अंदर यात्रा करना सिखाता है. बस टूटना नहीं, मजबूत बने रहना अौर याद रखना –
डिग्निटी फाउंडेशन ने “आध्यात्मिकता” 2021 पर वीडियो आमंत्रित किया था। मेरे इस वीडियो का चयन “डिग्निटी डिविनिटी -भाग 1” मे किया गया। यह यूट्यूब पर उपलब्ध है।
Heart touching story of a trans woman Sattaar who is hated and isolated by everyone in his village .
मुझे लगता है मूवी रिव्यु लिखना, किसी फिल्म की बारीकियों को समझने और अभिव्यक्त करने की कला है। इस कला में मैं अनाड़ी हूं। मैंने आज तक रिव्यु नहीं लिखा हैं। यह मेरा पहला प्रयास है। यह मैं किसी के अनुरोध पर लिख रही हूं। मुझे नहीं पता, मैं इस समीक्षा के साथ कितना न्याय कर पा रही हूं । आपके विचार सादर आमंत्रित है।
“पावा कढ़ाइगल ” मैं ने नेटफ्लिक्स पर देखी । इसकी पहली कहानी “थांगम/ सोना” ने मेरे दिल को छू लिया। सत्तार का चरित्र बिल्कुल सच्चाई के करीब और मार्मिक है। जिसे मैं भूल नहीं पा रही। इसलिए मुझे यह ख्याल अच्छा लगा कि अपने दिल की बातों को पन्ने पर उतार दूं। इसके इंट्रो में बेहद खूबसूरती से, लाल रंग को नारी जीवन के बदलावों के प्रतीक रूप में दिखाया गया है। थंगम एक ट्रांस ग्रामीण की कहानी है। कहानी का नायक, युवा सत्तार पुरुष शरीर में फंसा नारी मन है। जिसमें नारी सुलभ ईर्ष्या, प्रेम, नारी बनने की ख्वाहिश और सजने सँवरने की लालसा है। उसका सपना है अपना ऑपरेशन करा कर एक संपूर्ण नारी बनना। वह दिल से नारी है। इसलिये किसी सामान्य युवती की तरह वह अपने बचपन के मित्र सरवनन (शांतनु ) से बेहद प्यार करता है। जिसे वह प्यार से ‘सोना’ बुलाता है। महिला ट्रांसजेंडर सत्तार समाज के क्रूर व्यवहार और बहिष्कार का सामना करता है। सत्तार का एक मार्मिक डायलॉग उसके दिल का दर्द बखूबी बयान करता है –
“जब मैं किसी को छूता हूं तो लोग मुझे गलत समझते हैं या दूर भाग जाते हैं। ऐसे प्यार से मुझे आज तक किसी ने गले नहीं लगाया।”
हम सब अपना दर्द खूब महसूस करते हैं। जरूरी यह है कि दूसरों की तकलीफें भी उतनी ही शिद्दत से महसूस की जाए। ताकि यह खूबसूरत दुनिया और खूबसूरत बन जाए। कहते हैं ट्रांसजेंडर ईश्वरीय भूल है। लेकिन हम अर्धनारीश्वर को पूजते हैं। प्राचीन संस्कृति में किन्नरों को यक्ष और गंधर्वों के बराबर माना जाता था। उन्हें मंगल या शुभ कहते थे। पर आज समाज में तीसरे जेंडर की स्थिति बेहद नाजुक है। जिसे कालिदास और सुधा कोंगारा ने थांगम में अभिव्यक्त किया है। हम भूल जाते हैं कि ट्रांसजेंडर अन्य रचनाओं की तरह हीं ईश्वर की अनोखी और दुर्लभ रचना है। उनके पास भी दिल और भावनाएं होती हैं। जिस का हमें सम्मान करना चाहिए।
तमिल कथा संकलन ‘पावा कढ़ाइगल’ को हिंदी में ‘ गुनाहों की कहानियां या सिन स्टोरीज’ कह सकते हैं। थांगम नेटफ्लिक्स की तमिल एंथोलॉजी, ‘पावा कढ़ाइगल’ का हिस्सा है। इस लघु फिल्म को हिंदी, इंग्लिश, तमिल या तेलुगु में देखने के ऑप्शन उपलब्ध है। इस का संगीत मधुर है अौर बहते झरने के आसपास का दृश्य मनोहर है।
गौतम मेनन, वेत्रिमरन, सुधा कोंगारा और विग्नेश शिवन की समाज की कालिमा अभिव्यक्त करती हुई लाजवाब लघु फिल्म है। जो समाज के कई पक्षों के बारे में सोचने के लिए मजबूर करती है। नायक कालिदास जयराम ने सत्तार के ट्रांस कैरेक्टर एक्टिंग में दिल जीत लिया। अगर आपके पास 45 मिनट समय है। तब इसे जरूर देखें । शायद यह आपके ख्यालात और सोचने का नजरिया बदल दे।
Paava kathaigal – Thangam on Netflix
चले थे शिकायतों की पोटली ले ज़िंदगी के पास.
हँसी वह और बोली एहसान फ़रामोश ना बनो.
तुम्हारा अपना क्या है?
ज़िंदगी? तन? मन? धन? साँसे?
सब मिला है तुम्हें
दाता से उधार, ऋण में.
बस हिफ़ाज़त से रखो.
जाने से पहले सब वापस करना है.
और गौर से उन्हें भी देखो जिनके पास तुमसे कम है,
पर वे खुश तुमसे ज़्यादा है.
Image courtesy – Aneesh
एक टुकड़ा चाँद का ,
खुली खिड़की के अंदर आ गया.
बड़े गौर से देखता रहा ,
थोड़ा मुस्कुराया फिर बोला –
बाहर आओ.
असल दुनिया में!
टूटना या खंडित होना बुरा नहीं होता.
उसे पकड़े रहने की कोशिश ग़लत होती है.
आगे बढ़ते रहने के लिए,
कुछ छोड़ना सीखना ज़रूरी है,
मेरी तरह!
देखो मुझे,
खंडित होना और पूरा होना ही मेरा जीवन है,
मेरी नियति है.
फिर भी मुस्कुराता हूँ.
सितारों के साथ टिमटिमाता हूँ।
चाँदनी, शीतलता और सौंदर्य फैलाता हूँ.