उल्फ़त

चाँद हो आग़ोश में,

तो सितारों से उल्फ़त नहीं करते।

रौशन हो जहाँ आफ़ताब से,

तो जुगनुओं की रौशनी पर नहीं मरते।

नज़्म बना जियेगें ज़िंदगी!

Out beyond ideas of wrongdoing and rightdoing there is a field. I’ll meet you there. When the soul lies down in that grass the world is too full to talk about. ❤  Rumi.

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लम्हों को  गँवाते गँवाते

निकल गई उम्र-ए-रफ़्ता।

गर मिले  फिर इत्तिफ़ाक़ से. 

 नज़्म बना जियेगें ज़िंदगी।

सही-गलत से दूर…मिलेंगे उस जगह….

जहाँ आत्मा,  शरीर के  लिबास में ना हो।

 

 

 

उम्र-ए-रफ़्ता  –  past life,  गुज़री हुई उम्र