ख़फ़ा

अजब है नज़ारा जरा गौर कर।

ख़ुद से जुनूनी प्यार पर,

औरों से जरा ज़रा सी बातों पर

क्यों लोग है ख़फ़ा-ख़फ़ा?

अपने दिल को पढ़,

ज़िंदगी से गिला तो नहीं?

कहीं ख़ुद से ख़फ़ा तो नहीं?

नाराज़गी और राज़ी होना है हमारी फ़ितरत।

पर क्यों नाराज़गी उतारें औरों पर?

सोंचिये जरा, इंसानों के इस रवईये से

ग़र ख़ुदा सीख, ख़फ़ा हुआ इंसानों से

तो क्या होगा?

Narcissism is increasing in modern

societies, specially in West and

referred to as a “narcissism epidemic.

The endorsement rate for the statement “

Narcissism – a person who has an excessive

interest in or admiration of themselves.who

think the world revolves around them.

शमा के नूर

पूछा किसी ने रूमी से- दरवेश! किस मद में चूर हो?

गोल-गोल झूमते और घूमते लगते शमा के नूर हो।

नृत्य में बेफ़िक्री डूबे किस सुरूर हो?

यह नशा पाते कहाँ से हो?

जवाब मिला – चूर हैं हम मद, औ मुहब्बत में उसके,

दुनिया रौशन है उल्फ़त में जिसके।

तु हर चोट की दरार से रिसके,

रौशनी भरने दे अपनी रूह में।

उसके इश्क़ को ना ढूँढ दिल में,

अपने अंदर जो दीवारें बना रखीं है,

तोड़ आज़ाद हो जा हँस के।

तु भी झूमने लगेगा इस मद में।

अर्थ

शमा – सूफी नृत्य की रूहानी दुनिया।

रूमी – सूफ़ी दरवेश \ संत।

मंज़िल

पाना है अगर मंज़िल,

राज़ रखो अपनी मंज़िल।

बढ़ाते रहो पूरे विश्वास से कदम।

ग़र ना हो राज़-ए-मक़सद रखने का दम

दिल साज़िश करने लगता है हरदम।

कम कर हौसला,

देते है एहसास ऐसा भर

जैसे पा लिया हो मंज़िल।

बिना पाये मंज़िल।

Interesting Psychological Fact – Don’t tell

everyone your goals, because it chemically

satisfies the brain and that’s similar to

completing it.

Meaning मक़सद / मंज़िल – goal.

जी भर, जी ले ज़िंदगी

सारे सच लोग झूठ बताते चले गये।

सारी ज़िंदगी छले जाते रहे।

कई धोखे भरे रिश्ते निभाते चले गये।

शायद हुआ ऊपर वाले के सब्र का अंत।

हाथ पकड़ ले चला राह-ए-बसंत।

एक नई दुनिया, नई दिशा में।

बोला, पहचान बना जी अपने में।

तलाश अपने आप को, अपने आप में।

ग़र चाहिए ख़ुशियाँ और सुकून का साया।

जाग, छोड़ जग की मोह-माया।

मैं हूँ हमेशा साथ तेरे, कर बंदगी।

ख़ुशगवारी से जी भर, जी ले ज़िंदगी।

ग़र जीवन का अर्थ खोजना है!

खोने का डर क्यों? साथ क्या लाए थे।

क्या कभी बिना डरे जीने कोशिश की?

तब तो फ़र्क़ समझ आएगा।

इस जहाँ में आए, सब यहाँ पाए।

सब यही छोड़ जायें।

यही कहती है ज़िंदगी।

ग़र जीवन का अर्थ खोजना है।

एक बार ज़िंदगी की बातें मान

कर देखने में हर्ज हीं क्या है?

Topic by yourQuote

एक छोटी सी बात

हम ख़ुशियाँ चुनते रहे।

और ना जाने कब

ज़िंदगी नाराज़ हो गई।

सब कहते रहे …..

एक छोटी सी बात थी।

हम बात तलाशते रहे पर

ना जाने क्यों ज़िंदगी नाराज़ हो गई।

TopicByYourQuote

अहम बातें

ज़िंदगी की कुछ अहम बातें है –

दिल औ दिमाग़ में ज्ञान भरने के लिए पढ़ना,

दिल औ दिमाग़ में भरे दर्द हटाने,

खाली करने के लिए लिखना।

बातों को समझने के लिए ज़िक्र औ चर्चा करना।

यादों से निकलने के लिए उनको समझना।

बातों को आत्मसात् करने के लिए पढ़ाना।

राज़-ए-दिल और दिल की बातें दिल में रखना।