जिन्हें अपना पता मालूम नहीं,
वो दूसरों को राहें क्या बताएँगे?
बस थोड़ा सुकून और शीतलता
देने की कोशिश कर सकते है।
ताज़गी भरी स्वच्छंद, मनमौजी,
बहती-झूमती बयार ने कहा।
जिन्हें अपना पता मालूम नहीं,
वो दूसरों को राहें क्या बताएँगे?
बस थोड़ा सुकून और शीतलता
देने की कोशिश कर सकते है।
ताज़गी भरी स्वच्छंद, मनमौजी,
बहती-झूमती बयार ने कहा।
ॐ
ध्वनियाँ मानो तो शोर हैं,
जानो तो संगीत हैं।
नाद साधना हैं।
मंत्र हैं।
ॐ है हर ध्वनि का आधार।
ध्वनियों को ज्ञान से सजा दो,
तो ध्वनियाँ मंत्र कहलातीं हैं।
इन मंत्रों में माधुर्य, सुर,
ताल, लय मिला दो
तो संगीत बन जातीं हैं।
जो रूह में गूंज आध्यात्म
की राहें खोलतीं है।
ब्रह्मांड का हर आयाम
खोलतीं हैं।
ऊपरवाले को पाने का
मार्ग खोलतीं हैं।
ज़िंदगी के सफ़र में
अब जहाँ आ गए हैं।
बातें अब हम छुपाते नहीं।
लोगों के सिखाए
अदब के लिए,
अपनी ख्वाहिशें दबाते नहीं।
नक़ली सहानुभूति
दिखाने वालों से घबराते नहीं।
कड़वी बोली अब डराती नहीं।
गुनगुनी धूप
मुस्कुराना सिखाती है।
ख़ुद ज़िंदगी खुल कर
जीना सीखती है।
उनसे सच की
क्या उम्मीद करना,
जो ख़ुद से भी झूठ बोलतें हैं?
बड़े सलीक़े से झूठ बोलते हैं।
तय है, हर लफ़्ज़ से, बेख़ौफ़ टपकते झूठ का हुनर ,
मुद्दतों में सीखा होगा।
वे हमें नादाँ कहते हैं।
हैं नादान क्योंकि
हमने भी भरोसा करना ,
यक़ीं करना अरसे
से सीखा है।
चोट से टूटे दिल से,
दिमाग़ ने पूछा –
तुम ठीक हो ना?
तुम्हें बुरा नहीं,
ज़्यादा भला होने की
मिली है सज़ा।
ऐसे लोगों की
दुनिया लेती है मज़ा।
पेश नहीं आते दिल से,
दिमाग़ वालों से।
प्यार करो अपने आप से,
मुझ से।
ज़िंदगी सँवर जाएगी।
ख़्वाब और तितलियाँ
रात के आँचल में,
कई ख़्वाब रंग-बिरंगी
तितलियों से आतें हैं।
बंद आँखों में
खेल जातें हैं।
हाथ बढ़ाते,
आँखें खुलते,
कुछ अधूरी यादें
छोड़ जातें है।
जैसे तितलियों को
पकड़ने की कोशिश में,
उनके परों के कुछ
रंग अंगुलियों पर
छूट जातें हैं।
ज़िंदगी की किताब
ज़िंदगी के किताब
के पुराने पन्ने
कब तक है पढ़ना?
बीते पलों को
बीत जाने दो।
अतीत को
अतीत में रहने दो।
ज़िंदगी में आगे बढ़ो।
नए पन्नों पर कुछ
नया अफ़साना लिखो।
खुद को ना खोने देना
अौरों को खुश करने की कोशिश में।
अपने को पाना
लोगों को खोने से अच्छा है।
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