ख़ुशी की तलाश

कुछ लोग दिखतें हैं हमेशा ख़ुश।

ज़रूरी नहीं वो हों भी ख़ुश।

दरअसल वो सीख लेते है रहना ख़ुश।

वरना किसे ज़िंदगी रुलाती नहीं?

कुछ धोखे, कुछ अपने सताते नहीं?

जिये हँस कर या रो कर,

यह अपनी फ़ितरत है।

सुख-दुख के लम्हे आते हैं और

गुज़र जाते हैं।

तमाम उम्र यूँ हीं ख़ुशी की तलाश में

गुज़र जाती है।

सोंच विचार है ज़रूरी

सोंच विचार है ज़रूरी ।
क्यों बार-बार माफ़ करते हैं
दर्द देने वालों को?
खोने के डर से?
किसी को पाने की कोशिश में?
तब ज़िंदगी में दर्द और तकलीफ़ मिलेगी

और खोना होगा अपने आप को।
कठिन है लोगों को बदला।
आसान है आसपास के लोगों को बदलना।

Psychological fact – Human wants

bond for love and support. Sometimes

we bond with people who are mentally

and/or physically not good for us/ abuse us.

Trauma bond is bad for our mental health.