कहते हैं, आज़ाद छोड़ दो,
पंछी हो या इंसान।
ग़र वापस आना होगा,
अपने-आप आ जाएगे।
पर सच्चाई तो यह है कि
राह कोई भी, कभी भी भटक सकता है,
फिर ज़माना दोष देगा।
क्यों वापस आने की आदत ना लगाई,
क्यों राह-ए-नीड़ ना सिखलाई।
कहते हैं, आज़ाद छोड़ दो,
पंछी हो या इंसान।
ग़र वापस आना होगा,
अपने-आप आ जाएगे।
पर सच्चाई तो यह है कि
राह कोई भी, कभी भी भटक सकता है,
फिर ज़माना दोष देगा।
क्यों वापस आने की आदत ना लगाई,
क्यों राह-ए-नीड़ ना सिखलाई।
ज़िंदगी ख़्वाबों में मसरूफ़ ,
ख़्वाबों की इबादत में मसरूफ़।
नींद भरी आँखें अपनी
दर्द भरी कहानी किसे सुनायें?
कहने में देर हो गई कि
मुझे तन्हा न कर जाना।
तन्हा हैं रात-दिन और फ़ज़ाएँ
कहाँ खोजें, कैसे भूल जायें?
अब है तन्हाई की उस मंज़िल पर,
जहाँ मालूम नहीं
यह मकाँ है, क़ब्र है, या मज़ार है?
जी रहे है क्योंकि मर-मर कर,
जीने के तरीक़े हज़ार है।
#TopicByYourQuote
एक उलझन नहीं सुलझ रही।
हैं ज़िंदगी ख़्वाबों में मसरूफ़,
ख़्वाबों की इबादत में मसरूफ़।
है ख़ूबसूरत नशीला वसंत,
कहकशाँ,, चाँद-तारो भरी रातें।
नींद भरी आँखें अपनी
दर्द भरी कहानी किसे सुनायें?
topic by yourquote
ज़िंदगी मिली है जीने के लिए,
गिरने-उठने और दमकने के लिए।
सब हैं अलग-अलग पर ख़ास।
तारीफ़ कीजिए बनाने वाले की।
ग़लतियाँ कीजिए और सीखते रहें
नए-नए सबक़-ए-ज़िंदगी।
बदलाव है अहम हिस्सा, मज़ा लीजिए
बदलते सफ़र-ए-ज़िंदगी का।
Happy Psychology / Positive Psychology Fact-
Keep trying new things as life gets boring
when we stay within the limits of know
activities. In such a case, we start working in
an autopilot mode. Which is not good for
our mental health.
तेरा अक़्स, मेरा अक़्स,
क्या करना है अब बात?
दिन और रात बीत गई,
बीत गई बात।
अब ना दर्द है ना ग़म,
कर दिया है जब हिसाब।
कर दिया है सबको माफ़।
अब बस है आइना-ए-ज़िंदगी।
नहीं रह गई अक्स की बंदगी।
मकतब-ए-ज़िंदगी ने सिखाया,
मुस्कुरा-मुस्कुरा कर
लोगों को ना कर इतना बर्दाश्त
कि वे हद से गुज़र जाएँ।
सितम सहन इतना ना कर,
कि लोग सीमा तोड़ जाए।
कि ख़ुद वे बर्दाश्त-ए-काबिल ना रह जायें।
Positive Psychology-
If someone is crossing your boundaries,
take action. At the same time, Be careful
with how much you tolerate. You are
teaching them how to treat you.
मकतब-ए-ज़िंदगी ने सिखाया,
मुस्कुरा-मुस्कुरा कर
लोगों को ना कर इतना बर्दाश्त
कि वे हद से गुज़र जाएँ।
सितम सहन इतना ना कर,
कि लोग सीमा तोड़ जाए।
कि ख़ुद वे बर्दाश्त-ए-काबिल ना रह जायें।
Positive Psychology-
If someone is crossing your boundaries,
take action. At the same time, Be careful
with how much you tolerate. You are
teaching them how to treat you.
अधूरी कहानियों,नज़्मों..कविताओं को
मिल जाए अल्फ़ाज़, लय….तुकांत।
पूरी हो जायेंगी उनकी अधूरी वृतांत।
लिखने वाले की पूरी होगी
आरज़ू-ए-सफ़र,
शब्दों अल्फ़ाज़ों में ढूँढते
अपने वजूद-ए-ज़फ़र।
अर्थ: ज़फ़र – विजय, जीत,
लोग क्या कहेंगे?
वही कहतें हैं लोग अक्सर,
जो है नज़रिया उनका।
क्या है ज़रूरी, लोगों की राय?
रूह में दहशत? या ख़ुशियाँ औ सुकून?
सुने सब की, गौर करो, पर दिल पर ना लो।
खोना नहीं ख़ुशियों के पल,
ज़िंदगी रखो ख़ुशगवार।
Positive Psychology- “Once you start
making the effort to “wake-yourself up”
that is, be more mindful in your। activities,
you suddenly start appreciating life a lot more
– Robert Biswas-Diener
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