नज़्म-ए-ज़िंदगी अधूरी रह गई

कुछ कहना था, कुछ सुनना था।

पर बात अधूरी रह गई।

क़िस्सा-ए-इश्क़ छेड़ा,

पर कहानी अधूरी रह गई।

क्या शिकवा आल्फ़ाज़ो और

लफ़्ज़ों की ग़र वे अनसुनी रह गई।

जब नज़्म-ए-ज़िंदगी अधूरी रह गई।

सर्वोतम या उत्कृष्ट?

अपूर्णता में भी पूर्णता हैं,

कमियों में भी सौंदर्य।

जुनून में होता है नशा।

धुन में होती है खुमारी।

सर्वोतम या उत्कृष्ट होने से

बेहतर है सच्चा होना।