बचपन World Children’s Day – 20 November

वो बचपन, वो बेपरवाह एहसास,

वो मासूमियत और भोलापन,

डूबा सच्चाई की चाशनी में।

तितलियाँ हमजोली लगती,

भँवरें ग़ज़लें सुनाते।

वो पारियों की सच्ची लगती कहानियाँ,

वो बेफ़िक्री की नींद।

ख़ुश थे कल वे पानी में

काग़ज़ की कश्तियाँ तैरा कर।

आज पानी भरे सात सागरों के पार

जा आ कर भी डूबे है ज़िंदगी कि उलझनों में।

एक वो ज़माना था, इक ये ज़माना है।

Happy World Children’s Day – 20 November

बचपन World Children’s Day – 20 November

वो बचपन, वो बेपरवाह एहसास,

वो मासूमियत और भोलापन,

डूबा सच्चाई की चाशनी में।

तितलियाँ हमजोली लगती,

भँवरें ग़ज़लें सुनाते।

वो पारियों की सच्ची लगती कहानियाँ,

वो बेफ़िक्री की नींद।

ख़ुश थे कल वे पानी में

काग़ज़ की कश्तियाँ तैरा कर।

आज पानी भरे सात सागरों के पार

जा आ कर भी डूबे है ज़िंदगी कि उलझनों में।

एक वो ज़माना था, इक ये ज़माना है।

Happy World Children’s Day – 20 November

परफ़ेक्ट

किसी से मिलते हीं

उसे ना नापो तौलो,

जज ना करो।

सभी किसी ना किसी रूप में पूर्ण हैं

और अपूर्ण भी।

इंसान रूप में ईश्वर ने अवतार लिया,

यही समझाने के लिए,

कि कोई परफ़ेक्ट नहीं।