
कुछ लोग दिखतें हैं हमेशा ख़ुश।
ज़रूरी नहीं वो हों भी ख़ुश।
दरअसल वो सीख लेते है रहना ख़ुश।
वरना किसे ज़िंदगी रुलाती नहीं?
कुछ धोखे, कुछ अपने सताते नहीं?
जिये हँस कर या रो कर,
यह अपनी फ़ितरत है।
सुख-दुख के लम्हे आते हैं और
गुज़र जाते हैं।
तमाम उम्र यूँ हीं ख़ुशी की तलाश में
गुज़र जाती है।









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