ख़ुशी की तलाश

कुछ लोग दिखतें हैं हमेशा ख़ुश।

ज़रूरी नहीं वो हों भी ख़ुश।

दरअसल वो सीख लेते है रहना ख़ुश।

वरना किसे ज़िंदगी रुलाती नहीं?

कुछ धोखे, कुछ अपने सताते नहीं?

जिये हँस कर या रो कर,

यह अपनी फ़ितरत है।

सुख-दुख के लम्हे आते हैं और

गुज़र जाते हैं।

तमाम उम्र यूँ हीं ख़ुशी की तलाश में

गुज़र जाती है।

सोंच विचार है ज़रूरी

सोंच विचार है ज़रूरी ।
क्यों बार-बार माफ़ करते हैं
दर्द देने वालों को?
खोने के डर से?
किसी को पाने की कोशिश में?
तब ज़िंदगी में दर्द और तकलीफ़ मिलेगी

और खोना होगा अपने आप को।
कठिन है लोगों को बदला।
आसान है आसपास के लोगों को बदलना।

Psychological fact – Human wants

bond for love and support. Sometimes

we bond with people who are mentally

and/or physically not good for us/ abuse us.

Trauma bond is bad for our mental health.

फिर याद आए वो

फिर याद आए वो,

तो ग़मगीन हो जाते हो।

चाह कर भी भूल ना पाए

तो ग़मगीन हो जाते हो।

कभी दुआओं में किसी को माँगते हो।
कभी उसे हीं भूलने की दुआएँ माँगतें हो।

झाँसी की रानी – लक्ष्मी बाई

चमक उठी सन् सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी।

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।

ख़ूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

सुभद्राकुमारी चौहान

Lakshmi Bai / Laxmi Bai, birth date

November 19, 1835, Kashi, India.

इश्क़ है जागती रातें

इश्क़ है जागती रातें, उनींदी आँखें, गुनगुनाते गीत।

मुहब्बत है ख़्वाब, सितारे, चिराग़, चाँद

अँधेरी रातें, अधूरा चाँद, अधूरे किस्से।

इस इश्क़ को हीं कहते हैं बंदगी।

हम तो जी रहे हैं यही ज़िन्दगी।

तुम एक बार में लगे टूटने?

हँस कर पूछा चाँद ने।

हिजाब

एक हीं बात के हैं कई नज़रिए।

कहीं कहीं विरोध, कहीं है सपोर्ट।

https://www.firstpost.com/world/popular-iranian-actress-hengameh-ghaziani-arrested-day-after-appearing-in-public-without-hijab-report-11663171.html/amp

Popular Iranian actress Hengameh Ghaziani arrested day after appearing in public without hijab: Report

Earlier this month one of Iran’s top actresses Taraneh Alidoosti posted a picture on Instagram without the mandatory hijab while holding a placard with the protest slogan, ‘women, life, freedom’

कदर

नहीं थी उनको हमारी कदर,

जिसके हम थे सबसे बड़े कदरदान।

हमारी कदर नहीं थी उनको,

जिसके हम सबसे बड़े कदरदान थे।

रात के आख़री किनारे पर

इक तन्हा चराग़, कमजोर पड़ते लौ से

निशा के गहरे अँधेरे से लड़ता थक सा गया।

रात के आख़री किनारे पर

टिमटिमाते चराग़ के कानों में,

सहर का सितारा बोल पड़ा –

हौसला रख, सुबह के दीप।

कुछ हीं पल में अँधेरा जाने वाला है।

रौशन जहाँ करने,

आफ़ताब आने हीं वाला है,

बचपन World Children’s Day – 20 November

वो बचपन, वो बेपरवाह एहसास,

वो मासूमियत और भोलापन,

डूबा सच्चाई की चाशनी में।

तितलियाँ हमजोली लगती,

भँवरें ग़ज़लें सुनाते।

वो पारियों की सच्ची लगती कहानियाँ,

वो बेफ़िक्री की नींद।

ख़ुश थे कल वे पानी में

काग़ज़ की कश्तियाँ तैरा कर।

आज पानी भरे सात सागरों के पार

जा आ कर भी डूबे है ज़िंदगी कि उलझनों में।

एक वो ज़माना था, इक ये ज़माना है।

Happy World Children’s Day – 20 November

बचपन World Children’s Day – 20 November

वो बचपन, वो बेपरवाह एहसास,

वो मासूमियत और भोलापन,

डूबा सच्चाई की चाशनी में।

तितलियाँ हमजोली लगती,

भँवरें ग़ज़लें सुनाते।

वो पारियों की सच्ची लगती कहानियाँ,

वो बेफ़िक्री की नींद।

ख़ुश थे कल वे पानी में

काग़ज़ की कश्तियाँ तैरा कर।

आज पानी भरे सात सागरों के पार

जा आ कर भी डूबे है ज़िंदगी कि उलझनों में।

एक वो ज़माना था, इक ये ज़माना है।

Happy World Children’s Day – 20 November