इश्क़ है जागती रातें

इश्क़ है जागती रातें, उनींदी आँखें, गुनगुनाते गीत।

मुहब्बत है ख़्वाब, सितारे, चिराग़, चाँद

अँधेरी रातें, अधूरा चाँद, अधूरे किस्से।

इस इश्क़ को हीं कहते हैं बंदगी।

हम तो जी रहे हैं यही ज़िन्दगी।

तुम एक बार में लगे टूटने?

हँस कर पूछा चाँद ने।

4 thoughts on “इश्क़ है जागती रातें

  1. एक छवि के रूप में प्यार
    स्वर्गिक संघ
    यहाँ और अब में
    शाश्वत सहस्राब्दी आलिंगन
    सपना एक अलग भाषा बोलती है

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