
महफ़िलें, भीड़, मेले में भी हो अकेले जब।
तन्हाई की आदत हो जाती है तब।
तन्हा सफ़र की आदत जाती नहीं तब,
तन्हाई की लगे जब तलब।
एकांत की खुमारी छाने लगे।
बिना नशा भी नशा आने लगे।
मतलब तन्हाई बन गई है शौक़ अजब
रब के आशीर्वाद की बन गई है सबब।

महफ़िलें, भीड़, मेले में भी हो अकेले जब।
तन्हाई की आदत हो जाती है तब।
तन्हा सफ़र की आदत जाती नहीं तब,
तन्हाई की लगे जब तलब।
एकांत की खुमारी छाने लगे।
बिना नशा भी नशा आने लगे।
मतलब तन्हाई बन गई है शौक़ अजब
रब के आशीर्वाद की बन गई है सबब।

पाना है अगर मंज़िल,
राज़ रखो अपनी मंज़िल।
बढ़ाते रहो पूरे विश्वास से कदम।
ग़र ना हो राज़-ए-मक़सद रखने का दम
दिल साज़िश करने लगता है हरदम।
कम कर हौसला,
देते है एहसास ऐसा भर
जैसे पा लिया हो मंज़िल।
बिना पाये मंज़िल।
Interesting Psychological Fact – Don’t tell
everyone your goals, because it chemically
satisfies the brain and that’s similar to
completing it.
Meaning मक़सद / मंज़िल – goal.

कमियाँ किसमें नहीं?
पर सबसे बड़ी कमी है वही,
ज़ेहन के अँधेरे को मानना सही।
कभी ख़ुद का आईना बन तो सही।
नेकनीयती से गौर कर कभी
अपनी सकारात्मक और नकारात्मक,
अच्छी और बुरी बातों की बही।
नज़रों के सामने से हटेगा कम-निगही।
अपनी होड़, अपनी स्पर्द्धा अपने आपसे कर,
ईमानदारी और प्यार से खुद का ऑडिट कर।
अच्छा-बुरा जो भी पाया उन लम्हों में
उसका हर दिन रियाज़ कर।
अर्थ- कम-निगही- short sighted
Positive Psychology- Self-acceptance is the
first step to self-mastery. Mastery of the
self comes from accepting all our flaws.
Talk To Yourself with empathy.

इंसान का वजूद हो या
जलते दिए का।
सब माटी से पैदा हुए,
माटी में मिल जाएँगें।
जिसकी सोंधी खुशबू,
रची-बसी होती है ज़िंदगी में।
“मिट्टी के मोल” समझने में माटी को,
ऐसा ना हो अस्तित्व ना रहे जीवन का धरा पर।
5 December – World Soil Day
It is observed on 5 December to raise
awareness about the importance of soil,
healthy ecosystems and human well-being.

मुसाफ़िरों को नदी पार कराती किश्ती।
घाट घाट जाती है किश्ती।
पानी-हवा की दोस्ती से नदिया के
साथ तैरती जाती है किश्ती।
वही दोस्त नाराज़ हो तो
आँधी तूफ़ान बन डूबातें है किश्ती।
छोटी सी है इसकी हस्ती।
कम नहीं होती पानी पर नाच इसकी मस्ती।
बिना डरे सारी दुनिया घूम दिन ढले
अपने ठौर वापस आती है किश्ती।
उजले ख़्वाब देख, इश्क़ किया सितारों ने।
चाँद की चाँदनी में दिखे नज़ारों में।
सजी सितारों की बारात आकाश गंगा की बहारों में।
देखा सितारों को एक होते, सितारों में।
उम्र भर की तलाश पूरी हुई शायद।
डूब गए एक दूसरे की आँखों में ज़ायद।
ख़ूबसूरत है कायनात की क़वायद।
न्यूज़- दो आकाश गंगा का विलय।
Two Far-Off Galaxies Are Merging In
Amazing New Pic From Hubble
Telescope Merging galaxies captured
by Hubble.




पसंद
हम चाहें ना चाहें,
सब हमें चाहें।
हम कबूलें या ना क़बूलें लोगों को,
पर हमें सब क़बूल करें।
यह ज़िद्द क्यों, सब पसंद करें तुम्हें?
क्या कायनात मे सभी पसंद हैं तुम्हें?

टूटे कई बार, जुटे कई बार।
अपने को जोड़ लिया हर बार,
लगा पिघलते तपते स्वर्ण तार।
अब फ़र्क़ नहीं पड़ता हो जायें तार-तार,
ग़र बार-बार, कई बार।
गले, तपे स्वर्ण से जुड़ते जाएँगे हर बार।
किंत्सुगी बन जाएँगे बिन माने हार।
सीख लिया है निराशा के टुकड़ों
को जोड़कर आशा की सुनहरी लकीरें खींचना।
जापान की किंत्सुगी कला – किंत्सुगी टूटे हुए बर्तनों को जोड़ने की जापानी कला है। टूट टुकड़ों और दरारों को पिघले सोने और सुनहरे रंग से जोड़ और खूबसूरती से सजा दिया जाता है।
Kintsugi (“golden joinery”), also known as Kintsukuroi (“golden repair”), is the Japanese art of repairing broken pottery by mending the areas of breakage with lacquer dusted or mixed with powdered gold, silver, or platinum, a method similar to the maki-e technique.

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।
(जीवन में आने वाली विपरीत परिस्थितियों में हौसला दिलानेवाला श्रीमद्भगवद्गीता श्लोक)
भगवान श्रीकृष्ण ने संसार को गीता के ज्ञान रूप में अपनी विशेष कृपा प्रदान की है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती मनाई जाती है.
Gita Mahotsav is an event centred around the Bhagavad Gita, celebrated on the Shukla Ekadashi, the 11th day of Margashirsha the waxing moon of the (Agrahayan) month of the Hindu calendar. It is believed the Bhagavad Gita was revealed to Arjunaby Krishna in the battlefield of Kurukshetra.

चाँद ने सूरज को आवाज़ दे कर कहा –
ज़िंदगी की राहों में कुछ पाना,
कुछ खोना लगा रहता है।
कम ज़्यादा होना लगा रहता है।
भला या बुरा किया किसी के साथ,
उसका जवाब मिलता रहता है।
आवाज़ की गूंजें लौट कर है आती रहतीं हैं।
सागर और ब्रह्मांड का यह है फ़लसफ़ा।