माटी World Soil Day-5 December

इंसान का वजूद हो या

जलते दिए का।

सब माटी से पैदा हुए,

माटी में मिल जाएँगें।

जिसकी सोंधी खुशबू,

रची-बसी होती है ज़िंदगी में।

“मिट्टी के मोल” समझने में माटी को,

ऐसा ना हो अस्तित्व ना रहे जीवन का धरा पर।

5 December – World Soil Day

It is observed on 5 December to raise

awareness about the importance of soil,

healthy ecosystems and human well-being.

घाट घाट जाती है किश्ती

मुसाफ़िरों को नदी पार कराती किश्ती।
घाट घाट जाती है किश्ती।
पानी-हवा की दोस्ती से नदिया के
साथ तैरती जाती है किश्ती।
वही दोस्त नाराज़ हो तो
आँधी तूफ़ान बन डूबातें है किश्ती।
छोटी सी है इसकी हस्ती।
कम नहीं होती पानी पर नाच इसकी मस्ती।
बिना डरे सारी दुनिया घूम दिन ढले
अपने ठौर वापस आती है किश्ती।