धूप का इक टुकड़ा

आफ़ताब से आँख मिलाने की कोशिश ना कर

रौशनी से शिकवा-शिकायत न कर।

अंधेरे को उजाला करने को

इक किरण-ए-आफ़ताब काफ़ी है।

चम्पई अंधेरा और सुरमई उजाला

रौशन करने को गज़ाला-ए-किरण…

…धूप का इक टुकड़ा हीं काफ़ी है।

अर्थ : गज़ाला -सूर्य, सूरज,

picture courtesy – Anurag Dutta