तन्हा तन्हा सफ़र

जहान में आए तन्हा,

जाना है यहाँ से तन्हा।

तन्हाई अकेलापन नहीं, है एकांत।

ग़र मिलना है ख़ुदा से, ख़ुद से।

तन्हाईयाँ हीं मुलाक़ात हैं करातीं।

अक्सर जीवन का सफ़र होता है क़ाफ़िले में,

फिर भी होती हैं दिल में तनहाइयाँ।

मिलो सबों से,

पर करो अपने साथ सफ़र।

ना जाने क्यों ख़ूबसूरत तन्हाईयाँ हैं बदनाम।

5 thoughts on “तन्हा तन्हा सफ़र

  1. Wow. Fabulous lines, Rekha ji. Aisa lag raha hai jaise ye panktiyaan mere liye hi likhi gayin hain. Excellent. ♥️♥️♥️♥️♥️😍😍😍😍😍

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