ग़र रिश्ते रुलाने लगे,
थकाने लगे।
रूह की ताक़त निचोड़ दे।
तब दूरी है ज़रूरी।
जो नहीं किया उसकी
सफ़ाई क्यों है देनी?
जब अन्तरात्मा थक जाए।
तब आत्मसम्मान का
सम्मान है ज़रूरी।
दुनिया में बहुत कुछ
ख़त्म हो रहा है।
मारती नदियाँ, मृत सागर,
और मरते रिश्ते।
किसी को फ़र्क़ पड़ता है क्या?
जिन्हें फ़र्क़ पड़ेगा।
वे संभलना और रिश्ते
बचाना सीख लेंगे।