इनायत
अँधेरे पल हो या उजाले,
ज़िंदगी की सारी लड़ाईयाँ
हम ने तुम्हारे भरोसे लड़ी,
तुम्हारी रज़ा और
इनायत के साये में।
ना किया तुमने
कभी कोई वादा,
पर दर्मियान हमारे-तुम्हारे
भरोसे का वो रिश्ता है
कि तुमने कभी
निराश नहीं किया।
इनायत
अँधेरे पल हो या उजाले,
ज़िंदगी की सारी लड़ाईयाँ
हम ने तुम्हारे भरोसे लड़ी,
तुम्हारी रज़ा और
इनायत के साये में।
ना किया तुमने
कभी कोई वादा,
पर दर्मियान हमारे-तुम्हारे
भरोसे का वो रिश्ता है
कि तुमने कभी
निराश नहीं किया।