ज़ुबान
ज़ुबान बंद रखना
तो ठीक है।
पर बिन बोले बातों का
वजन, बोझ बन जाता है।
और चुभता है, टूटे आईने
की किरचियों सा।
खामोशी की अदा
तब अच्छी है।
जब सुनने वाले के
पास मौन समझने
वाला दिल हो।
वरना लोग इसे
कमजोरी समझ लेतें हैं।
ज़ुबान
ज़ुबान बंद रखना
तो ठीक है।
पर बिन बोले बातों का
वजन, बोझ बन जाता है।
और चुभता है, टूटे आईने
की किरचियों सा।
खामोशी की अदा
तब अच्छी है।
जब सुनने वाले के
पास मौन समझने
वाला दिल हो।
वरना लोग इसे
कमजोरी समझ लेतें हैं।
मिथ्यारहित सत्य
चाँद को चाँद कह दिया,
ख़फ़ा हो गई दुनिया ।
जब सच का आईना
सामने आया।
सौ-सौ झूठों का
क़ाफ़िला सजा दिया।
ना खुद से ना खुदा से
बोलना सच।
और कहते हैं जीवन का
अंतिम पड़ाव है सच ….
….. मिथ्यारहित सत्य।
रौशनी
सूरज डूबेगा नहीं,
तब निकलेगा कैसे?
चाँद अधूरा नहीं होगा,
तब पूरा कैसे होगा?
अँधेरा नहीं होगा,
तब रौशनी का मोल कैसे होगा?
अमावस नहीं होगा,
तब पूर्णिमा कैसे आएगी।
यही है ज़िंदगी।
इसलिय ग़र चमक कम हो,
रौशनी कम लगे।
बिना डरे इंतज़ार करो।
फिर रौशन होगी ज़िंदगी।
तहरीर
कभी ज़िंदगी की हर
लहर डराती थीं।
लगता था बहा ले जाएँगी
अपनी रवानी में।
एक दिन दरिया
कानों में फुसफुसाया –
मैं तो दरिया हूँ ।
कभी कभी ज़िंदगी
समुंदर लगेगी।
पर डरो नहीं।
ज़िंदगी की तहरीरों….
लिखावट को पढ़ना सीखो लो।
समय पर, अपने आप पर
भरोसा करना सीख लो।
अपने आप से प्यार
करना सीख लो।
मज़बूत बनाना सीख लो।
हर दरिया समुंदर में गिरता है,
सागर दरिया में नहीं।
दरिया की बातें सुन,
ज़िंदगी की दरिया में
तैरना सीख रहें हैं।
अब गोते लगा कर डूबते
नहीं, उभर जातें हैं ।
अब लोग परेशान है –
यह अक्स किस का है?
क्यों इतनी रौशनी है
पानी में ….
इनकी ज़िंदगानी में।
इम्तिहान
ज़िंदगी क्या तुझे
ख़बर है?
कितनी बार टूट कर
यहाँ पहुँचें है?
तू बस परखते रह,
नए-नए इम्तिहान
लेती जा।
ज़िंदगी की किताब
ज़िंदगी के किताब
के पुराने पन्ने
कब तक है पढ़ना?
बीते पलों को
बीत जाने दो।
अतीत को
अतीत में रहने दो।
ज़िंदगी में आगे बढ़ो।
नए पन्नों पर कुछ
नया अफ़साना लिखो।
ज़िंदगी की राहें
मज़बूत दिखने वालों
की सच्चाई यह होती है,
कि वे कई बार टूट
कर बने होते हैं।
ज़िंदगी की राहों पर,
वे अकेला चलना
सीख चुके होतें हैं।
कोर्स
ना प्यार सीखने का
कोर्स होता है ।
ना दर्द देने या
नफ़रत करने का।
यह तो ज़िंदगी सीखती है,
और दिल सीखता है।
गीली पलकों पर
आँसुओं के चमकते
सितारे देख
आसमान के टिमटिमाते
सितारों ने झुक कर पूछा –
क्या जमीं पर नयनों से
सितारे बोना है?
क्यों है, मायूस चेहरा
और आँखों में आँसू ?
इनसे कुछ मिलेगा क्या?
नहीं ना?
अब ज़रा मुस्कुरा कर जी लो।
मान कर जियो कि
तुम्हारे पास मुस्कुरा कर
जीने के अलावा रास्ता नहीं।
फिर देखो,
ज़िंदगी, अँधेरा दूर कर
कैसे जलाती हैं
ख़ुशियों के चिराग़ ।
कहते हैं,
अपने दिल के सुकून
के लिए लोगों को
माफ़ करना अच्छा है।
चाहे वे माफ़ी
माँगे या ना माँगे।
पर ऐसी माफ़ियों से
रिश्ते में कुछ
घटने लगता है –
शायद, विश्वास,
प्यार और अपनापन !!
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