मिथ्यारहित सत्य
चाँद को चाँद कह दिया,
ख़फ़ा हो गई दुनिया ।
जब सच का आईना
सामने आया।
सौ-सौ झूठों का
क़ाफ़िला सजा दिया।
ना खुद से ना खुदा से
बोलना सच।
और कहते हैं जीवन का
अंतिम पड़ाव है सच ….
….. मिथ्यारहित सत्य।
मिथ्यारहित सत्य
चाँद को चाँद कह दिया,
ख़फ़ा हो गई दुनिया ।
जब सच का आईना
सामने आया।
सौ-सौ झूठों का
क़ाफ़िला सजा दिया।
ना खुद से ना खुदा से
बोलना सच।
और कहते हैं जीवन का
अंतिम पड़ाव है सच ….
….. मिथ्यारहित सत्य।
रौशनी
सूरज डूबेगा नहीं,
तब निकलेगा कैसे?
चाँद अधूरा नहीं होगा,
तब पूरा कैसे होगा?
अँधेरा नहीं होगा,
तब रौशनी का मोल कैसे होगा?
अमावस नहीं होगा,
तब पूर्णिमा कैसे आएगी।
यही है ज़िंदगी।
इसलिय ग़र चमक कम हो,
रौशनी कम लगे।
बिना डरे इंतज़ार करो।
फिर रौशन होगी ज़िंदगी।