इम्तिहान
ज़िंदगी क्या तुझे
ख़बर है?
कितनी बार टूट कर
यहाँ पहुँचें है?
तू बस परखते रह,
नए-नए इम्तिहान
लेती जा।
इम्तिहान
ज़िंदगी क्या तुझे
ख़बर है?
कितनी बार टूट कर
यहाँ पहुँचें है?
तू बस परखते रह,
नए-नए इम्तिहान
लेती जा।
ज़िंदगी की किताब
ज़िंदगी के किताब
के पुराने पन्ने
कब तक है पढ़ना?
बीते पलों को
बीत जाने दो।
अतीत को
अतीत में रहने दो।
ज़िंदगी में आगे बढ़ो।
नए पन्नों पर कुछ
नया अफ़साना लिखो।