गुफ़्तगू

तेरे जाने के बाद,

कई बार तेरी ख़ुशबू से

गुफ़्तुगू की है।

ख़्वाबों में आ कर

कई बार जगाया तुमने।

पर यह मिलना भी

कोई मिलना है?

ज़िंदगी के रंग – 225

हर दिल में कितने

ज़ख़्म होते हैं….

ना दिखने वाले।

कुछ चोट, समय के

मरहम से भर जातें हैं।

कुछ रिसने वाले

नासूर बन, रूहों तक

उतर जातें हैं।

धीरे-धीरे ज़िंदगी

सिखा देती है,

दिल में राज़ औ लबों

पर मुस्कुराहट रखना।