
दे कर चुभन और
हाल पूछते हैं।
ना मिलने पर
सवाल पूछतें हैं।
कुरेदतें हैं,
ज़ख्मों को
मलहम के बहाने।
उन लोगों का
क्या किया जाए?

दे कर चुभन और
हाल पूछते हैं।
ना मिलने पर
सवाल पूछतें हैं।
कुरेदतें हैं,
ज़ख्मों को
मलहम के बहाने।
उन लोगों का
क्या किया जाए?

शीशमहल
कौन खोजता हैं दूसरों में
कमियाँ हीं कमियाँ ?
उसमें अपने आप को
ढूँढने वाले।
यह शीश महल
देखने जैसा है।
जिधर देखो अपना हीं
अक्स और परछाइयाँ
देख ख़ुश हो
लेते है ये लोग।