मोतियाँ

लेखक, कवि औ

कलाकार कल्पना और

ख़्वाबों की दुनिया से

मोतियाँ चुन

सजाते हैं अपनी रचायें।

यह ख़ज़ाना खुली आँखों

से नहीं दिखता।

दिल से हीं महसूस

किया जा सकता है,

ख़्वाबों की यह तिज़ारत।

मुनाफ़ा-नुक़सान में

उलझने वाले क्या जाने

दिल की ये ख़ूबसूरत बातें?

8 thoughts on “मोतियाँ

  1. ठीक कहा रेखा जी आपने। दिलों के सौदे नफ़ा-नुक़सान देखकर नहीं किये जाते। वैसे आपकी बात उन्हीं पर लागू होती है जिनके ऐसे रचना-कर्म व्यावसायिक उद्देश्य से रहित होते हों।

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  2. वो आत्मा
    धारण करता है
    सपने में
    पुरा शरीर
    उसकी इंद्रियों के साथ
    इसके अंगों के साथ

    चाहे हम
    सुंदर
    दिल की बातें
    वास्तविकता का
    वो आत्मा
    पसंद करना
    या नहीं

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