बता वक्त ख़ता ढूँढे या सज़ा

प्यासे मृग सी कशाकश में,

मृगतृष्णा के पीछे भागते

बीतती है दिन-रात।

कट जाती है ज़िंदगी फ़क़त

मरीचिका सी उलझन में।

बता वक्त ख़ता ढूँढे या सज़ा?

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