दर्द और ख़ुशियाँ

दर्द हो या ख़ुशियाँ,

सुनाने-बताने के कई होते हैं तरीक़े।

लफ़्ज़ों….शब्दों में बयाँ करते हैं,

जब मिल जाए सुनने वाले।

कभी काग़ज़ों पर बयाँ करते है,

जब ना मिले सुनने वाले।

संगीत में ढाल देते हैं,

जब मिल जाए सुरों को महसूस करने वाले।

वरना दर्द महसूस कर और चेहरे पढ़

समझने वाले रहे कहाँ ज़माने में?

इतना तो मेरा हक़ बनता था!

मालूम है कि ज़िंदगी है एक रंगमंच

और हम सब किरदार।

पर कौन है शेष रह गए कई अनुत्तरित

सवालों के जवाब का ज़िम्मेदार ?

सब जाएँगें ख़ाली कर बस्ती एक दिन।

पर ऐसे बिन बताए जाता है कौन?

बरहम….. आक्रोश, नाराज़गी जाती नहीं।

ज़वाब मिले, इतना तो मेरा हक़ बनता था।

दोस्ती

बोतल से प्यार कर

महफ़ूज़ रहती है सूरा।

शराबी से आशिक़ी कर,

लगे नशेमन का कलंक।

हिना डाल पर हरी,

पाषाण की दोस्ती से बदल जाए रंग।

कमल का प्यार पानी संग

खिल जाए उसका रूप रंग।

लोहा का प्यार पानी से।

टूटे खा कर जंग।

कुछ लगाव अज़ीम रिश्ते हैं बनाते।

कुछ दोस्ती लगाते है कलंक।

आस

ग़र किसी ने दिल और आत्मसम्मान है तोड़ा।

तब अपने आप से ना भागो ।

लोगों के सामने कुछ ना साबित करो।

खुद को समझो, खुद को प्यार करो।

अपने आख़री और सबसे करीबी आस हम हैं।

बस याद रखना है – विषैले रिश्तों से दूरी है ज़रूरी।

Human Psychology-

A trauma bond is a toxic connection

between an abuser and the abused

person. To overcome it Love and

Prioritising yourself , Give yourself time

to heal and Reconnect with yourself.

ज़िंदगी की जंग (World Suicide Prevention Day observed on 10th September)

इससे तो अच्छा पाषाण युग रहा होगा।

जब जंग भूख व जीवन के लिए होता होगा।

जब अस्मत के जिम्मेदार वस्त्र नहीं होते होंगे।

ग्लैमर का नापतौल कपड़ों से नहीं होता होगा।

कपड़ों पर छींटाकशी की सियासत नहीं होती होगी।

काश जंग देश के किसी गम्भीर मुद्दे पर होता।

“सादा जीवन उच्च विचार” के ज्ञान पर होता।

विचार होता, लोग ज़िंदगी की जंग हार क्यों जातें हैं?

News – BJP still hanging in T-shirts and

khaki shorts: Bhupesh Baghel retorts

on ‘Rs 41k t-shirt’ jibe on Rahul Gandhi

World Suicide Prevention Day observed on 10th September.

विचारों का प्रतिबिम्ब

ना कीजिए शक अपने वजूद पर।

और यक़ीन ना करें लोगों के

काँच से चुभते अल्फ़ाज़ों पर।

यह जानने के लिए सब्र कीजिए,

कि आप किसी की नज़रों में क्या हैं?

पत्थर, काँच, नगीना या हीरा ?

अनाड़ी हीरे को भी काँच समझ फेंक देता है।

पसंद करनेवाला तराशे काँच भी शौक़ से पहनते है।

वे आपमें क्या देखतें हैं,

यह रखता नहीं मायने ।

क्योकि अक्सर लोग दूसरों में

अपने विचारों का प्रतिबिम्ब देखते है।

दर्द और चोट

समझ नहीं आता तन और मन के

दर्द और चोट में इतना भेदभाव क्यों?

तन के चोट पर मलहम-पट्टी और अफ़सोस

करने वालों की भीड़ जुट जाती है।

मन या दिल के चोट जान-सुन कर भी

लोग अनदेखा कर देते हैं।

इसकी तो दवा भी ईजाद नहीं।

दर्द तो दोनों में होता है।

दिखता नहीं इसलिए

इसे अनदेखा करते हैं क्या?

Human behaviour-

Acute emotional stress, positive or negative, can cause the left ventricle of the heart to be ‘stunned’ or paralysed, causing heart attack-like symptoms including strong chest, arm or shoulder pains, shortness of breath, dizziness, loss of consciousness, nausea and vomiting. https://www.health.qld.gov.au › The science behind a broken heart.

खामोशियाँ

चुप्पी की आग में अपने जलना

और दूसरों को जलाना

है बचपना और बेगाना-पन।

खामोशियाँ मार देती है रिश्तों को।

बंद कर देती है दरवाज़े कई रिश्तों के।

ख़ामोशियों के शोर रह जातें हैं गूँजतें।

चुप्पियों से बेहतर है, समझदारी से,

ज़बाँ से सुलझाना शिकवे-शिकायतें।

बातें कर मसला सुलझा लेना।

Psychological Fact –

The silent treatment is emotional

manipulation and psychological

abuse. It is the act of ceasing to

initiate or respond to communication

with someone else or refusing to

acknowledge them altogether.

It can destroy relationships.

अरण्य

ना जाने कितने जंगल,

शहर बन गए ईंटों-कंक्रीटों से।

जहाँ सहमें हुए इंसाँ को

ख़ौफ़ हैं इंसानी दरिंदों से।

अरण्य के दरख़्त कभी हुआ करते थे

ख़्वाबों के दरख़्त

औ आशयाँ वनचरों के।

अब ये जानवर कहाँ जायें?

#NationalWildlifeDay

National Wildlife Day on September 4th

encourages improved awareness of the

species around us and in the broader world.

अपनी बहती धार में

बिना मुझसे पूछे,

बिन मेरे अनुमति।

तुमने मेरे पत्थरों से

बनाया था आशियाँ अपना।

बस मैं उसे हीं वापस ले जा रही हूँ,

अपनी बहती धार में।

तब तुम शक्तिशाली थे।

आज़ मैं प्रचंड हूँ।