जुस्तुजू
उलझी बातें, उलझी चालें।
दूसरों को गिराने के ख़्याल।
ईश्वर की अजीब मख़्लूक़… रचना है इंसान।
यह सब करके भी है जुस्तुजू
पाने के सीधे -सच्चे मख़्लूक़-ए-ख़ुदा…इंसान।
जो दुनिया को दोगे, वही मिलेगा।
क्यों नहीं आता ऐसा ख़्याल।
जुस्तुजू
उलझी बातें, उलझी चालें।
दूसरों को गिराने के ख़्याल।
ईश्वर की अजीब मख़्लूक़… रचना है इंसान।
यह सब करके भी है जुस्तुजू
पाने के सीधे -सच्चे मख़्लूक़-ए-ख़ुदा…इंसान।
जो दुनिया को दोगे, वही मिलेगा।
क्यों नहीं आता ऐसा ख़्याल।