मैंने अक्सर देखा है !

होते हैं कुछ लोग

ख़ुशगवार-सुकुमार दिखते पीपल से।

दीवारों-छतों-घरों पर बिन बताए,

बिना अनुमति ऊग आये पीपल से।

नाज़ुक पत्तियों और हरीतिमा भरा पीपल।

समय दिखाता है,

इनके असली रंग।

गहरी जड़ें कैसे आहिस्ते-आहिस्ते गलातीं है,

उन्ही दरों-दीवारों को टूटने-बिखरने तक,

जहाँ मिला आश्रय उन्हें।

हरसिंगार

भरोसा रख खुद पर,

अपने दिल की आवाज़ों पर।

किसी और को ना समझा,

खुद को समझ और महसूस कर।

हंसी और ख़ुशी आँखों, होंठों और

चेहरे से ऐसे झड़ने लगेगें,

जैसे पारिजात वृक्ष से झड़ते

हरसिंगार के ख़ूबसूरत फूल।