नियामत

खामोशियाँ सुकून बन जाए।

तनहाइयाँ भाने लगे।

परवाह न रहे लोगों की,

उनकी बातों की।

मायने ईश्वर साथ है,

सम्भालता दुनिया की ठोकरों से,

राहें दिखाता-सिखाता।

तब एकांत बन जाता है नियामत,

देता है कई प्रश्नों के जवाब

और सिखाता है सलीके से

ख़ुशगवार ज़िंदगी जीना।

रौशन आफ़ताब

हमें जलाने की,

बुझाने की कोशिश ना कर,

हम चराग़ नहीं,

रौशन आफ़ताब हैं।

खुद हीं जल के रौशन होते हैं।

और जहाँ रौशन करते हैं।