Day: June 5, 2022
किसका दर्द बड़ा ?
हवा में लहराती,
दुनिया रौशन करने की ख़ुशी से नाचती सुनहरी,
लाल नारंगी लौ क्या जाने,
बाती के जलने का दर्द।
जलती बाती क्या जाने गर्म-तपते तेल की जलन?
ना लौ, ना बाती, ना तेल जाने
दीये के एक रात की कहानी।
जल-तप दूसरों को रौशन करती,
अपने तले हीं अंधकार में डूबा छोड़।
पता नहीं किसका दर्द बड़ा ?
पर सब जल-तप करते रहते हैं रौशन राहें।