छुपे ख़्वाब बेटियों को सजाने दे!

माथे पे ये आँचल, ये हिजाब क्या ख़ूब है।
पर इसके बिना भी वह बहुत ख़ूब है।
ना क़ैद कर बुलबुल को पिंजरे में।
ख़ुशी के गीत गाने दे।
पिता की आँखों में छुपे ख़्वाब,
बेटियों को सजाने दे।
इनके पाक दामन को आँसुओं से नहीं,
अपने अस्तित्व….वजूद-ए-ज़न,
अरमानों औ ख़्वाहिशों से सजाने दे।

* On International Day for the Elimination of Sexual Violence in Conflict – crimes against women

* On Father’s Day



ख़ुशियों भरा बदलाव

एकांत में रम कर समझ आता है,

किसे प्यार है, किसे कहते है ज़रूरत।

एकांत परिचय करता है अपने आप से।

यह पहचान कराता है –

सच्चे अपनों और तथाकथित अपनों से।

ख़ुशियों भरा बदलाव लाता है बाहर से।

धीरे-धीरे अंदर भी बहुत कुछ बदलने लगता है।

मनोवैज्ञानिक तथ्य – जब आप खुद के साथ

ज्यादा समय अकेले बिताने लगते हैं तब आप

अपने साथ-साथ दूसरे की मनःस्थिति बड़ी

आसानी से समझने लगते हैं ।