टिमटिमाते तारे, जगमगाते जुगनू, दमकता चाँद , नन्हें दीपक की हवा से काँपती लौ, सभी अपनी पूरी ताक़त से रात के अंधेरे का सामना करते हैं. फिर हम क्यों नहीं कर सकते सामान ? सहर तो होगी हीं….सूरज तो निकलेगा हीं….

टिमटिमाते तारे, जगमगाते जुगनू, दमकता चाँद , नन्हें दीपक की हवा से काँपती लौ, सभी अपनी पूरी ताक़त से रात के अंधेरे का सामना करते हैं. फिर हम क्यों नहीं कर सकते सामान ? सहर तो होगी हीं….सूरज तो निकलेगा हीं….


Forwarded
ये गर्भस्थ शिशु की प्रस्तर प्रतिमा कुंददम वादककुनाथ स्वामी मन्दिर की एक दीवाल पर उकेरी हुई है। कल्पना करें X-RAY की खोज से हजार साल पहले ये जानकारी उस समय के लोगों को कैसे मिली होगी।
मन्दिर की दूसरी दीवारों पर भी गर्भस्थ शिशु के हर महीने की पोजिशन की प्रतिमा उकेरी हुई है।
सनातन हिन्दू धर्म दुनिया का सबसे प्राचीन पहला और आखरी वैज्ञानिक धर्म है,इन्होंने ही दुनिया को विज्ञान दिया,दृष्टि दी जीवन जीने की कला दी,सहित्य दिया, संस्कृति दी, विज्ञान दिया, विमान शास्त्र दिया, चिकित्सा शास्त्र दिया, अर्थ शास्त्र दिया.
सनातन धर्म सा धर्म नही दुजा।
सनातन धर्म लाखो वर्षों से वैज्ञानिक अनुसंधान करता आया है, ऋषि मुनियों ने विज्ञान की नींव रखी है, ऋषियों ने अपनी हड्डिया गलाकर दुनिया को विज्ञान ओर अनुसंधान के दर्शन कराए है।
पूरी दुनिया कभी सनातन के ऋषी मुनियो के ऋण से मुक्त नही हो पाएगी इतना दिया है दुनिया को हमारे ऋषि मुनियों ने।
हम उन्हीं वैज्ञानिक ऋषिमुनियों की संतान सनातनी हिन्दू हूँ, इस बात का गर्व है . कुंददम कोयम्बटूर से करीब ८० किलोमीटर की दूरी पर है।


Forwarded
Rumi
एक प्रश्न अक्सर दिलो-दिमाग में घूमता है.
एक शिशु जहाँ जन्म लेता है। जैसा उसका पालन पोषण होता है।
वहाँ से उसके धर्म की शुरुआत होती है।
जो उसे स्वयं भी मालूम नहीं।
तब कृष्ण के नृत्य – ‘रासलीला’,
सूफी दरवेशओं के नृत्य ‘समा’ में क्यों फर्क करते हैं हम?
ध्यान बुद्ध ने बताया हो या
कुंडलिनी जागरण का ज्ञान उपनिषदों से मिला हो।
क्या फर्क है? और क्यों फर्क है?
make your last journey
from this strange world
soar for the heights
where there is no more
separation of you and your home.

Rumi
ब्रह्मांड में बिन आधार गोल घूमता नीलम-पन्ना सा, नीले जल बिंदु सा, यह पृथ्वी, हमारी धरा, हमारा घर है। यह वह जगह है, जहाँ हम सब जीते-मरते और प्यार करते हैं। यह हमारे अस्तित्व का आधार है। हर व्यक्ति जो कभी था जो कभी है । सभी ने यहीं जीवन जिया। हमारा सुख-दुख, हमारा परिवार, हजारों धर्म, आस्थाएँ, महान और सामान्य लोग, हर रिश्ता , हर प्रकार का जीवन, हर छोटा कण, ब्रह्मांड में बिना सहारे घूमती इस अलौकिक पृथ्वी के रंगभूमि का हिस्सा है।
फिर इसकी उपेक्षा क्यों ? ना जाने कितने महिमामय रजवाड़े, शासकों ने मनमानी की, बिखेरे रक्त की बूंदें। क्या यह उनका यह क्षणिक आत्मा महिमा, एक भ्रम नहीं था? क्या बिन इस धरा के, इस विशाल विश्व के उनका अस्तित्व संभव था?
हमारी विशाल धरा, ब्रह्मांड के अंधकार में जीवन से पुर्ण, नाचती एक मात्र स्थान है। क्या है ऐसी कोई आशा की किरण जो हमें जीवन का आधार दे सके? जो परीक्षा की घड़ी में मददगार हो? आज यह पृथ्वी एकमात्र ज्ञात जीवन से परिपूर्ण दुनिया है। फिर क्या यह अच्छा नहीं है कि हम इसका सम्मान करें? नफरत छोड़कर प्रेम से जिये और जीने दें सभी को?


Shocking footage shows the tar-blackened lungs of a chain smoker who was hooked to the killer habit for 30 years. Instead of being a healthy pink, they were charcoal in colour and extremely inflamed from decades of tobacco residue clogging them up.
Doctors from the Wuxi People’s Hospital in Jiangsu, China, extracted the organs after the 52-year-old man, who had multiple lung diseases, died. The video, recorded by the surgeons, has been viewed more than 25million times on social media, with users dubbing it the ‘best anti-smoking ad ever’. It was uploaded by the hospital with the caption: ‘Do you still have the courage to smoke?’
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