एक दिन मौका मिला जीवन के
प्राचीनतम पाठशाला से
शाश्वत सत्य का सबक लेने का-
“मैं” को आग में धधकते और भस्म होते देखा ,
महसूस हुआ एक रिश्ता खो गया,
फिर खुद से मुलाकात हुई ।
समझ आया जब जीवन का यह हश्र होना है,
तब मिथ्या मोह, अहंकार, गुमान, गरूर किस काम का?
Image courtesy- Aneesh.
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