साँस के साथ बुनी गई जो ज़िंदगी,
वह अस्तित्व खो गया क्षितिज के चक्रव्यूह में.
अब अक्सर क्षितिज के दर्पण में
किसी का चेहरा ढूँढते-ढूँढते रात हो जाती है.
और टिमटिमाते सितारों के साथ फिर वही खोज शुरू हो जाती है –
अपने सितारे की खोज!!!!

Image courtesy- Aneesh
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