अपने थेरेपिस्ट स्वयं बने।
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एंजाइटी मानसिक तनाव – मैं मनोविज्ञानिक को बहुत गहराई से पढ़ा और समझा है। पर हैरानी की बात है जब अपनी जिंदगी में परेशानियां आईं। तब उन्हें संभालना बहुत कठिन लगा। तब मैंने जाना, व्यक्तिगत रूप में इन्हें संभालने के लिए क्या करना चाहिए। इस पोस्ट में प्रैक्टिकल रूप से उपयोगी बातें शेयर करने जा रही हूं।
खानपान- यह हमेशा से कहा जाता रहा है कि पेट सभी बीमारियों का जड़ है . मानसिक समस्याओं जैसे एंजाइटी- तनाव में भी यह उतना ही महत्वपूर्ण है। जितना शारीरिक बीमारियों में। आपने देखा भी होगा अक्सर बेहद तनाव की स्थिति में या तो हम ज्यादा खाने लगते हैं या भूख नहीं लगती है । कभी-कभी कुछ मनचाहा खाने से अच्छा एहसास भी होता है।
नींद और आराम – एंजाइटी और तनाव सबसे पहले हमारे नींद को प्रभावित करती है। सबसे पहले अपने सोने के पैटर्न को देखें उसे सही करें। हमारे बॉडी क्लॉक कुछ इस तरह होती है कि आराम के पलों में हमारे शरीर का मेंटेनेंस होता है। अगर मन, मस्तिष्क, और शरीर को समुचित आराम मिलेगा। तब शरीर अपने आपको स्वयं ही हील करके, ठीक करने लगेगा। अगर समस्या हो तब योग निद्रा जरुर करें। इस समस्या के लिए डॉक्टर की सलाह भी ले सकते हैं।
खानपान – एंजाइटी से बचने या संभालने के लिए ज्यादा चीनी, तला-छना भोजन, आर्टिफिशियल नमक, डिब्बाबंद भोजन और पेय पदार्थों कम से कम लेना चाहिए। इनमें शामिल प्रिजर्वेटिव अौर अन्य पदार्थ हारमोंस को प्रभावित करते हैं। ताजे फल, सब्जियां, मेवे – अखरोट, बादाम, पिस्ता, दूध, पालक, ब्लूबेरी, ओट्स, डार्क चॉकलेट, ग्रीन टी, किवी आदि खाना ऐसे में फायदेमंद होता है।
आयुर्वेद – शंखपुष्पी, भृंगराज , अश्वगंधा, जटामांसी से एंग्जायटी और तनाव कम होता है। इनसे एकाग्रता बढ़ती है और स्मरण शक्ति भी मजबूत होती है। इनका उपयोग किसी जानकार से पूछ कर ही किया जाना चाहिए।
योगा और ध्यान – आज की भागती दौड़ती दुनिया में अपने मन- मस्तिष्क को शांत और खुश रखना सबसे जरूरी है। जिसका एक उपाय ध्यान और योग है। इसे नियमित रूप से करने से बहुत फायदा होता है। अगर समय कम हो तो शुरू में 5 या 10 मिनट प्राणायाम करना भी मददगार होता है। इसका फायदा आपको जल्दी ही नजर आने लगेगा।
एक्सरसाइज और टहलना – इससे शरीर में कुछ लाभदायक हार्मोन का स्त्राव बढ़ता है। जिससे हैपी हार्मोन के नाम से जाना जाता है। जो तनाव कम करता है और सेहत में भी फायदा मिलता है।
अपने साथ समय बिताएं – कभी-कभी एकांत में बैठकर अपने बारे में सोचें। अपनी समस्याओं अौर उनके कारणों अौर उपाय के बारे में सोचें। अपने को स्वस्थ रूप में, जैसा आप दिखना चाहते हैं। उसकी कल्पना करें। इस कामना को बार बार दोहराएं। अपनी खूबियों को याद करें।
ऐसे लोगों से दूर रहें जिनकी बातों से आपको तकलीफ होती है या दुख होता है। अपनी बातों को बोलना सीखे। किसी की बात ना पसंद हो तो जताना सीखें। मन की बातों को लिखने से या किसी से बांटने से भी तकलीफ और तनाव कम होता है।

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