प्राचीनतम पाठशाला

एक दिन मौका मिला जीवन के

प्राचीनतम पाठशाला से

शाश्वत सत्य का सबक लेने का-

“मैं” को आग में धधकते और भस्म होते देखा ,

महसूस हुआ एक रिश्ता खो गया,

फिर खुद से मुलाकात हुई ।

समझ आया जब जीवन का यह हश्र होना है,

तब मिथ्या मोह, अहंकार, गुमान, गरूर किस काम का?

 

Image courtesy- Aneesh.

 

 

जिंदगी के रंग – 30

समझौता, भोलापन, भरोसा हँस पङे।

बोले हमारे साथ रहने वाले का यही हश्र होता है

पर एक बात है!

हम जिंदगी का आईना अौर दुनिया की असलियत जरुर दिखा देतें हैं।