Dead yesterday n unborn tomorrow ,
why fret about them ,
if today be sweet.
omar khayyam
omar khayyam
dead yesterday n
unborn tomorrow ,
why fret about them ,
if today be sweet.

― Omar Khayyám,
Children’s Day – 14.11.2017
Pandit Jawaharlal Nehru once said, “The children of today will make the India of tomorrow.”
गिल्लू गिलहरी बहुत दौड़ती थी। वह जंगल ओलंपिक में भाग लेने की तैयारी कर रही थी।हर दिन सुबह उठ कर वह दूर तक दौड़ लगाती थी।उसने अपने भोजन में दूध और मेवे शामिल कर लिए थे।वह स्कूल में भी खेल-कूद में भाग लेने लगी थी।वह चाहती थी कि उसकी चुस्ती-फुर्ती बढ़ जाये। अब वह पहले की तरह हर समय टीवी और कंप्यूटर में व्यस्त नहीं रहती थी।कोच बंकु उसकी मेहनत से बहुत खुश थे।
पर जब भी कोच बंकु बंदर अभ्यास करवाते तब वह पीलू खरगोश से पीछ छूट जाती थी। पीलू ख़रगोश बड़ा घमंडी था। अभ्यास के समय पीलू आगे निकल कर सभी को जीभ चिढ़ाता। अगर कोई उससे आगे निकलने की कोशिश करता, तब वह कोच की नज़र बचा कर उसे धक्का दे कर गिरा देता। गिल्लू को लगने लगा था, वह रेस जीत नहीं पाएगी।
इस साल हिमालय नेशनल पार्क के राजा तेज़ा शेर ने अपनी सभा में जंगल ओलंपिक खेलों की घोषणा की थी। उन्होंने बताया कि खेलों से सदभावना और दोस्ती बढ़ती है। खेल हमें स्वस्थ रखते हैं। इससे हमारे जीवन में अनुशासन आता है। इसलिए जंगल में ओलंपिक खेलों का आयोजन किया जा रहा है।इसमें अन्य जंगलों को भी न्योता दिया गया है। इस ओलंपिक में अनेक प्रकार के खेलों को शामिल किया गया था। गिल्लू ने छोटे जानवरों के 1000 मीटर लंबी दौड़ मे हिस्सा लिया था।
राजा तेज़ा ने जंगलवासियों को मनुष्यों के ओलंपिक खेलो की जानकारी दी। इस खेल का आयोजन हर चौथे वर्ष किया जाता है। वे चाहते है कि हिमालय नेशनल पार्क के जंगल में ओलंपिक का आयोजन हो। सभी जानवर इस ऐलान से बहुत खुश थे। इस आयोजन के लिए खेल के मैदान तैयार किए जाने लगे। दौड़ के लिए रेस-ट्रैक बनाए जा रहे थे।
गिल्लू जी-जान से मेहनत कर रही थी। आज के दौड़ के अभ्यास में वह सबसे आगे थी। जैसे ही उसने पीछे पलट कर पास आते पीलू को देखा,वह घबरा गई। पीलू उसे जीभ दिखाते हुए तेज़ी से आगे निकल गया। गिल्लू की आँखों में आँसू आ गए। दौड़ के बाद वह आम के पेड़ के पीछे जा कर आँसू पोछने लगी। तभी कोच बंकु वहाँ आए। उन्हों गिल्लू को बिना डरे अभ्यास करने कहा। पर गिल्लू बहुत घबरा गई थी।
अभ्यास के बाद गिल्लू अपने घर पहुची। बड़े पीपल के पेड़ के सबसे ऊपर के ड़ाल के बिल में उसका घर था। पर वह घर के अंदर नहीं गई। बाहर ऊंची ड़ाल पर बैठ गई। वहाँ से सारा जंगल नज़र आता था। उसे अपने दौड़ का ट्रैक नज़र आ रहा था। कल ही प्रतियोगिता है। वह रोने लगी। उसे लग रहा था कि वह कभी पीलू से जीत नहीं पाएगी। तभी पीछे से उसकी माँ ने आवाज़ दिया- बेटा, तू तो सबसे तेज़ दौड़ती है। दौड़ तुम ही जीतोगी। गिल्लू ने हैरानी से पूछा- माँ, तुमने मुझे दौड़ते हुए कब देखा? माँ ने मुस्कुरा कर कहा- हर दिन मैं यहाँ से तुम्हें अभ्यास करते हुए देखती हूँ। गिल्लू ने सुबकते हुए पूछा- पर मैं पीलू से हार क्यों जाती हूँ? माँ ने उसके माथे पर हाथ फेरते हुए कहा- तुम अपने मन से हार का ड़र निकाल दो, और दौड़ते समय कभी पीछे मत देखो। मेरी सीख याद करते हुए दौड़ना। जीत तुम्हारी होगी।
अगले दिन गिल्लू समय पर तैयार हो कर दौड़ के ट्रैक पर पहुची। माँ ने दूर से हाथ हिलाया। दौड़ शुरू हुई। बिना पीछे देखे वह दौड़ती चली गई और वह रेस जीत गई। रेस में प्रथम आने के बाद उसने माँ से पूछा – माँ तुमने क्या जादू किया था?
माँ ने कहा- मैं ने कुछ भी नहीं किया था। बस तुम्हारे मन का डर निकल गया था। और हाँ, आगे वही बढ़ता है जो पीछे नहीं देखता । तुम दौड़ के समय बार-बार पीछे देखने मे जो समय लगाती थी। उसमें ही पीलू तुमसे आगे निकल जाता था। गिल्लू बेटा,खेल-कूद प्यार और सद्भावना बढ़ाता है,लड़ाई-झगड़ा नहीं। आज पीलू की दुष्टता रेस-ट्रैक के कैमरे में सभी को नज़र आ गई। आज दौड़ में उसने बिनी बिल्ली को धक्का दिया था। राजा तेजा ने उसे कड़ी सजा देने का ऐलान किया है और तुम्हें प्रथम पुरस्कार मिलेगा।
Yesterday I was clever,
so I wanted to change the world.
Today I am wise,
so I am changing myself.
~~ Rumi
I searched for God and found only myself.
I searched for myself and found only God.
पेङ की शाखाअों पर लगे फूलों में
हम सौंदर्य सार खोजते हैं,
पर क्यों नहीं हम जड़ों के बारे में सोचतें?
शायद वहीं सब कुछ मिल जाए………
कृष्ण को खोजते है किताबों में,
क्यों नहीं झाँकतें अपने अंदर ?
पतझङ अौर बसंत मे
खुबसूरत पत्ते अौर फूल,
आते हैं अौर फिर साथ छोङ जाते हैं,
पर जङें नहीं बदलतीं।
वही उन का आधार हैं……
image from internet.
“Dead yesterday n unborn tomorrow , why fret about them , if today be sweet.”
कहते हैं, बीती ताहि बिसार दे , आगे की सुधि ले..
जो बीत गई सो बात गई!!
पर बीता इतिहास तो सबक देता है।
गर उसे बोझ ना बना लें हम,
आनेवाला दिन , क्या होगा कैसा होगा?
भविष्य के गर्भ में क्या छुपा है? कौन जाने?
भविष्यनिर्माण योजना ना बनायें?
यह सपना भी तो जरुरी है।
पर यह ख्याल, यह फलसफा भी बुरा नहीं-
“कल हो ना हो……
इस क्षण को जी लें आज ”
भविष्य के दिवा स्वप्न ,
भूत के बोझ
मृत कल अौर अजन्मे कल की चिंता क्यों?
गर आज मधुर, खुशनुमा हो…….
शब्दार्थ-
दिवा स्वप्न – day dreaming
बिसार – forget
भविष्यनिर्माण योजना- future planning
भूत- Past
Indispire Topic-
Regretting the past and worrying about the future will further flatten the time in which you are living and celebrate today and try to employ the most of it.Write a post on the celebration of Today ..This moment is the only truth. #CelebrateTodayThisMomen
image from internet.