क्या स्कूल के कोर्सेज़ कुछ ऐसे नहीं होने चाहिए?
प्राइमरी की पढ़ाई में शामिल होने चाहिए,
सही और ग़लत स्पर्शों को मतलब
और अपने-आप को प्यार और सम्मान करना।
फिर दूसरों का सम्मान करना स्वयं आ जाएगा।
सेकेण्डरी में बताया जाना चाहिए –
अपने इमोशन, भावनाओं को समझना और व्यक्त करना।
मानसिक स्वास्थ्य पढ़ानी चाहिए।
ताकि ना आप दूसरों की ,
ना दूसरे आपकी भावनाओं से खिलवाड़ करें।
प्यार, मोहब्बत, इश्क़ तब करें जब कुछ बन जायें।
वरना टूटने और जुड़ने में हाँथो से वक़्त निकल जाएगा।
सिर्फ़ कुछ चोटें, कुछ दर्द साथ रह जाएगा।










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