चाँद, कई बार तुम आइने से लगते हो।
जिसमें अक्स झलक रहा हो अपना।
तुम्हारी तरह हीं अकेले,
अधूरे-पूरे और सुख-दुःख के सफ़र में,
दिल में कई राज़ छुपाए,
अँधेरे में दमकते,
अपने पूरे होने के आस में रौशन हैं।
चाँद, कई बार तुम आइने से लगते हो।
जिसमें अक्स झलक रहा हो अपना।
तुम्हारी तरह हीं अकेले,
अधूरे-पूरे और सुख-दुःख के सफ़र में,
दिल में कई राज़ छुपाए,
अँधेरे में दमकते,
अपने पूरे होने के आस में रौशन हैं।
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