कलम थामे
लिखती उंगलियाँ आगे बढ़ती जातीं हैं।
तब एक जीवंत रचना उभरती हैं।
ये उंगलियाँ संदेश हैं –
जिंदगी आगे बढ़ते जाने का नाम है।
आधे पर रुक कर,
पंक्तियोँ…लाइनों को अधूरा छोङ कर,
लिखे अक्षरों को आँसूअों से धुँधला कर,
सृजनशीलता…रचनात्मकता का अस्तित्व संभव नहीं।
यही पंक्तियाँ… कहानियाँ… कविताएँ,
पन्नों पर उतर,
आगे बढ़नें की राहें बन जातीं हैं।
बिलकुल सही कहा। जब तक आगे बढ़ेंगे नहीं तब तक यादों के पन्नों को कैसे सजाएंगे।
LikeLiked by 3 people
हाँ, बहुत सही बात लिखी तुमने।
LikeLiked by 1 person
Thank you
LikeLike
बहुत अच्छी कविता है।
LikeLiked by 1 person
आपका आभार!
LikeLike
वाव सच बात🌸❤
LikeLiked by 1 person
तुम्हें अच्छा लगा , यह जान कर ख़ुशी हुई.
LikeLiked by 1 person
Really beautiful
LikeLiked by 1 person
Thank you Muntazir !!!
LikeLike