खालीपन

अपने अंदर के खालीपन को भरने के लिये

हमने कागज़ पर उकेरे अपने शब्द अौर भाव।

पर धरा का खालीपन कौन भरेगा?

पेङों, घासोँ को काट कागद…कागज़ बनने के बाद?

9 thoughts on “खालीपन

  1. सूनापन भरा कहाँ कभी। रिक्त स्थान को।भरने में लगे हैं न जाने कितना रिक्त कर। भर रही है प्रकृति।
    बढ़िया सोच और सवाल भी।

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    1. सही ख़्याल है आपका – सूनापन भरा कहाँ कभी? और जब नाराज़ प्रकृति अपना कोप दिखाती है तब हम सब बेबस हो जातें हैं.

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