अपना घर

चाँदनी बिछी सतह चाँदी बन चमक उठी.

बंद द्वार खुला पा कर भी,

लगा किसी ने पैरों को जकड़ लिया है.

कई दिनों से बंद धूल धूसरित

फ़र्श पर किसी तरह पैर रखते

पहचाने पद चिन्हों को अपने ऊपर

अंकित पा घर स्वागत कर उठा पर,

उसकी आँखों से झरझर आँसू बह रहे थे.

यह था उसका अपना घर .

16 thoughts on “अपना घर

  1. दिल भी एक घर है जो अचानक किसी को समीप पाकर जिसकी यादों पर एक धूल की परत सी पड़ गयी हो बून्द आंखों से छलक ही जाती है।

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