रेत हो या वक्त

ना समझो इसे मौन,

खोज़ रहें है, हम हैं कौन?

कर रहे हैं अपने आप से गुफ़्तगू।

हमें है खोज़ अपनी, अपनी है जुस्तजू ।

इश्क़ अपने आप से, अपने हैं हमसफ़र।

छोटी सी ज़िंदगी, छोटी सी रहगुज़र।

रेत हो या वक्त ,

फिसल जाएगा मुट्ठी से कब।

लगेगा नहीं कुछ खबर।

4 thoughts on “रेत हो या वक्त

  1. Wow! Bahut bahut badhiya. Har ek line itni sundar likhi hai aapne ki dobara padhne ka man kar raha hai. I especially loved these lines.
    रेत हो या वक्त ,
    फिसल जाएगा मुट्ठी से कब।
    लगेगा नहीं कुछ खबर
    ♥️♥️♥️♥️♥️

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