ना समझो इसे मौन,
खोज़ रहें है, हम हैं कौन?
कर रहे हैं अपने आप से गुफ़्तगू।
हमें है खोज़ अपनी, अपनी है जुस्तजू ।
इश्क़ अपने आप से, अपने हैं हमसफ़र।
छोटी सी ज़िंदगी, छोटी सी रहगुज़र।
रेत हो या वक्त ,
फिसल जाएगा मुट्ठी से कब।
लगेगा नहीं कुछ खबर। 
ना समझो इसे मौन,
खोज़ रहें है, हम हैं कौन?
कर रहे हैं अपने आप से गुफ़्तगू।
हमें है खोज़ अपनी, अपनी है जुस्तजू ।
इश्क़ अपने आप से, अपने हैं हमसफ़र।
छोटी सी ज़िंदगी, छोटी सी रहगुज़र।
रेत हो या वक्त ,
फिसल जाएगा मुट्ठी से कब।
लगेगा नहीं कुछ खबर। 
Wow! Bahut bahut badhiya. Har ek line itni sundar likhi hai aapne ki dobara padhne ka man kar raha hai. I especially loved these lines.
रेत हो या वक्त ,
फिसल जाएगा मुट्ठी से कब।
लगेगा नहीं कुछ खबर
♥️♥️♥️♥️♥️
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Glad you liked it Aparna❣️
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Great thoughts and beautiful poem shared.
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Thank you dear ❤
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