ना डरो,
जब चारो ओर गहन अँधेरा दिखे।
जब लगे, हो रहा सब ख़त्म।
तभी अंकुर निकलता है,
ऊपर बढ़ने के लिए।
रौशनी से होती है मुलाक़ात।
नीचे जड़े सहारा देने लगती हैं।
मिट्टी में दबे बीज सी है ज़िंदगी भी।
ना डरो,
जब चारो ओर गहन अँधेरा दिखे।
जब लगे, हो रहा सब ख़त्म।
तभी अंकुर निकलता है,
ऊपर बढ़ने के लिए।
रौशनी से होती है मुलाक़ात।
नीचे जड़े सहारा देने लगती हैं।
मिट्टी में दबे बीज सी है ज़िंदगी भी।
दिल बड़ा नाज़ुक होता है।
रिश्ते दिल के भरोसे पर टिके होते है।
उसके टूटने की आवाज़ नहीं होती।
पर भरोसा टूट जाये ,
तो ज़िंदगी के हर पल में,
हर लफ़्ज़ में इस की गूंज शामिल होती है
औ भरोसा करने की आदत छूट जाती है।
ना करो झूठे वादे, ना किसी का ऐतबार तोडो,
ना तोड़ो नाज़ुक भरोसा।
ये चोट रूह पर निशाँ छोड़ जाता है।
Psychological Fact – Pistanthrophobia is an
enormous fear of trusting people because of
awful past experiences / bad relationship.
सुना था यह दुनिया है इक रंग मंच, हम सब है किरदार।
जीवन यात्रा में अलग-अलग हैं कहानियाँ और दास्तान।
कुछ मुकम्मल कुछ अधूरी।
सब की डोर है ऊपरवाले के हाथों में।
अब पढ़ा ट्रूमैन शो ऐसा वहम है,
जहाँ व्यक्ति अपने जीवन को रिएलिटी शो
का हिस्सा मान भ्रम में जीता है।
क्या हम सब वास्तव में रंग मंच के ऐसे हीं किरदार हैं,
जिन पर कई नज़रें टिकी हैं? …..
……जीपीएस ट्रेकिंग, कैमरे, सीसीटीवी,
ड्रोन, फ़ेसबुक, इंस्टग्राम, व्हाटअप…….
The Truman Show delusion or Truman syndrome, is a type of delusion in which the person believes that their lives are staged reality shows, or that they are being watched on cameras.
(In the film “The Truman Show,” Jim Carrey plays a man who is an unknowing star of a TV show. His life is streamed to an audience at all times).
हम सब जग में लोगों से रिश्ते बनाते हैं।
कभी अपने साथ प्रेम और इश्क़ भरा
रिश्ता बना कर देखो।
लोगों को अपने जीवन के
दायरे और सीमा बता कर देखो।
ग़र मन का सुकून चाहिए,
दूसरों के बदले खुद के लिए
जीवन जी कर देखो।
कई उलझनें ख़ुद-ब-ख़ुद सुलझने लगेंगी।
ब्रह्मांड में हमारी पृथ्वी है एक छोटी सी बिंदु।
इतनी न्यून दिखनेवाली धरा पर रहनेवाले
इंसानों का अहंकार इतना बड़ा क्यों?
7.6 अरब लोगों को नहीं दिखता कि
हम तलबगार हैं इसके? क्यो परवाह नहीं इसकी?
धरा का कोख है कूड़ा से ज़ख़्मी और
आसमाँ का सीना धुआँ से चाक।
एहसान फ़रामोशी से जो हम दे रहे जमीं को,
ग़र वही लौटाने लगे, तब जाएँगे कहाँ हम?
On April 22, Earth Day has been celebrated around the globe, annually For the past 50 years. The aim is to promoting awareness for the health of our environment.
तन थके तो आराम चाहिए।
मन थके तो सुकून चाहिए।
“जो होगा अच्छा होगा”
मन के सुकून और शांति के लिए,
यह विश्वास क़ायम रखना है ज़रूरी।
कोशिश से बना सकते है यह यक़ीन।
गीता में छुपा है यह जीवन सार –
जो हुआ अच्छा हुआ।
जो हो रहा है वह अच्छा है।
जो होगा वह भी अच्छा होगा।
ख़ाक में, राख़ में लिपटे,
शमशानों में भटकते भभूतमय शिव का
संकेत है कि ज़िंदगी यहाँ ख़त्म होती है।
कौन कब जहाँ छोड़ जाए, मालूम नहीं।
ग़ुरूर में डूबे कितने इन राहों से गुज़र गए।
फिर किस बात का अभिमान साधो ?
#TopicYoyrQuote
हमें मालूम है तुम्हें,
एक अरसा हो गया है ख़ुद से मिले।
दुआ देतें हैं, तुम्हें तुम जैसा कोई मिले।
उस आईने में,
अक्स से नज़रें मिला सको तो देखना
तुम्हें अपना व्यवहार
अपना किरदार नज़र आएगा।
#TopicByYourQuote
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