ना डरो,
जब चारो ओर गहन अँधेरा दिखे।
जब लगे, हो रहा सब ख़त्म।
तभी अंकुर निकलता है,
ऊपर बढ़ने के लिए।
रौशनी से होती है मुलाक़ात।
नीचे जड़े सहारा देने लगती हैं।
मिट्टी में दबे बीज सी है ज़िंदगी भी।
ना डरो,
जब चारो ओर गहन अँधेरा दिखे।
जब लगे, हो रहा सब ख़त्म।
तभी अंकुर निकलता है,
ऊपर बढ़ने के लिए।
रौशनी से होती है मुलाक़ात।
नीचे जड़े सहारा देने लगती हैं।
मिट्टी में दबे बीज सी है ज़िंदगी भी।