रूह से रूह तक

बिखरी पड़ी है तेरी रौशनी हर ओर।

 हम ढूँढते रहते हैं मंदिरों-मस्जिदों-गिरजों में।

आवाज़ें देते रहते हैं माजरों-समाधियों पर।

 सुनते नहीं लौट कर आती सदायें….गूँज अपने अंदर की.

क्यों भूल जातें हैं-

मेरा मुझमें कुछ नहीं, जो कुछ है सो तेरा है।

बस तेरी अमानतें हैं, जो लौटनीं है।

 रूह से रूह तक प्रेम पहुँचाना है।

अतीत


यादों में,

माज़ी….अतीत में

डूब कर

कभी कभी लगता है,

हम, हम नहीं रहे,

तुम हो गए!!!!!

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Image courtesy – Aneesh

 

Stay happy, healthy and safe -132

#CoronaLockdownDay – 132

Rate this:

There is nothing so disobedient

as an undisciplined mind,

and there is nothing so obedient

as a disciplined mind.

 

 – Buddha