दिलो-दिमाग में ख़्याल आया।
हर पल में हम ज़िंदगी जीते हैं।
अौर अगले पल वह पल मर जाता है,
बीता हुआ पल बन कर।
फिर, दिलो-दिमाग अौ ज़ेहन में ख़्याल आया,
हर पल ज़िंदगी आगे बढ़ती जा रही है।
अौर हर पल उम्र घटती जा रही है
पर लालसा अौर लालच बढ़ती जाती है पल-पल।
मुझे हीं या
औरों को भी यह ख़्याल आता है?
ज़ेहन-मस्तिष्क/दिमाग