आदतें भी बड़ी अजीब होतीं हैं.
इनमे भी नशा वाजिब होते है.
ना कोई वायदा, ना लौटने के इरादे.
ना जाने कौन सा अनजान सफ़र अौर राहें.
मालूम है, वे हैं वन-वे राहें.
मालूम है दरवाज़ा खड़का होगा हवा से,
मगर उम्र कट रही है इंतज़ार में.
आदतें भी बड़ी अजीब होतीं हैं.
इनमे भी नशा वाजिब होते है.
ना कोई वायदा, ना लौटने के इरादे.
ना जाने कौन सा अनजान सफ़र अौर राहें.
मालूम है, वे हैं वन-वे राहें.
मालूम है दरवाज़ा खड़का होगा हवा से,
मगर उम्र कट रही है इंतज़ार में.
#CoronaLockdownDay – 135
~~Rabindranath Tagore